वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी

Edited By PTI News Agency,Updated: 09 Nov, 2020 10:18 PM

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नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) पंद्रहवें वित्त आयोग ने केंद्र एवं राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे के फार्मूले के बारे में सोमवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दी। आधिकारिक बयान के अनुसार एन के सिंह की अध्यक्षता वाले आयोग ने...

नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) पंद्रहवें वित्त आयोग ने केंद्र एवं राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे के फार्मूले के बारे में सोमवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दी। आधिकारिक बयान के अनुसार एन के सिंह की अध्यक्षता वाले आयोग ने 2021- 22 से लेकर 2025- 26 पांच साल की अवधि के लिये तैयार रिपोर्ट को ‘कोविड काल में वित्त आयोग’ नाम दिया है।

पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों का ब्योरा नहीं जारी किया गया है क्योंकि रिपोर्ट को अभी संसद में रखा जाना है। कार्रवाई रिपोर्ट के साथ इसे संसद के अगले सत्र में रखे जाने की संभावना है।

चेयरमैन सिंह ने अन्य सदस्यों के साथ यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी। आयोग के अन्य सदस्यों में अजय नारायण झा, अनूप सिंह, अशोक लाहिड़ी और रमेश चंद शामिल हैं। वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों के बारे में सुझाव देता है।

पंद्रहवें वित्त आयोग ने दो रिपोर्ट दी है। पहली रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए थी। 2021-26 के लिये अंतिम रिपोर्ट सोमवार को सौंपी गयी।

चौदहवें वित्त आयोग ने कर राजस्व में राज्यों को 42 प्रतिशत हिस्सेदारी देने की सिफारिश की थी। वहीं मौजूदा वित्त आयोग ने 2020-21 के लिये 8,55,176 करोड़ रुपये रजस्व हिस्सेदारी देने की सिफारिश की जो विभाजनीय कर-राजस्व का 41 प्रतिशत है।

पूर्व यानी 14वें वित्त आयोग ने कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी थी। अब ये देखना है कि अंतिम प्रतिवेदन में मौजूदा आयोग का रुख क्या है। खासकर ऐसे समय जब केंद्र व्यय के जरिये अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये कोष पर विशेष ध्यान दे रहा है।
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है ‘‘चेयरमैन एन के सिंह के नेतृत्व में 15वें वित्त आयोग ने सोमवार को अपनी 2021- 22 से 2025- 26 अवधि की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है।’’
आयोग की सेवा शर्तों के अनुसार आयोग को 2021- 22 से लेकर 2025- 26 की पांच साल की अवधि के लिये अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा गया था।
आयोग को विभिन्न मुद्दों पर अपने सिफारिशें देने को कहा गया था। केन्द्र और राज्यों के बीच कर विभाजन, स्थानीय सरकारों को दिया जाने वाला अनुदान, आपदा प्रबंधन अनुदान, सहित अन्य कई मुद्दों पर सिफारिशें देने को कहा गया था। इसके साथ ही राज्यों के लिये बिजली, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण अपनाने, ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रोत्साहन आधारित सिफारिशों देने को भी कहा गया था।
आयोग से यह भी कहा गया था कि क्या रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिये कोष उपलब्ध कराने के वास्ते एक अलग प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये। ऐसा होता है तो इस प्रकार की प्रणाली को किस प्रकार से संचालित किया जा सकता है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि आयोग ने अपनी इस रिपोर्ट में सभी संदर्भ शर्तों पर गौर किया है।

यह रिपोर्ट चार खंडों में है, पहले और दूसरे खंड में पहले की तरह मुख्य रिपोर्ट है और उसके साथ के पूरक संदर्भ दिये गये हैं। तीसरा खंड केन्द्र सरकार के लिये है जिसमें मध्यम अवधि की चुनौतियों और आगे की रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए मुख्य विभागों को गहराई से जांचा परखा गया है। चौथा खंड पूरी तरह से राज्यों से जुड़ा है।


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