Edited By PTI News Agency,Updated: 28 Nov, 2020 07:16 PM
नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने शनिवार को कहा कि विनिर्माण क्षेत्र द्वारा आश्चर्यजनक तरीके से जुझारू क्षमता दिखाने के चलते सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट की दर 7.5 प्रतिशत...
नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने शनिवार को कहा कि विनिर्माण क्षेत्र द्वारा आश्चर्यजनक तरीके से जुझारू क्षमता दिखाने के चलते सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट की दर 7.5 प्रतिशत पर रुक गई। इसकी एक वजह कंपनियों और कारोबार जगत द्वारा कर्मचारियों के वेतन जैसे लागत में भारी कटौती हो सकती है और इससे आगे गिरावट थमने के मजबूत संकेत मिलते हैं।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने इकोरैप में लिखा कि भारत की जीडीपी वृद्धि ने जुलाई-सितंबर (वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही) में आश्चर्यजनक रूप से जुझारूपन दिखाया है और वास्तविक आधार पर संकुचन सिर्फ 7.5 प्रतिशत रहा, जबकि गिरावट का अनुमान इससे अधिक था।
लॉकडाउन की पाबंदियों को बहुत हद तक खत्म किए जाने के चलते विनिर्माण में सुधार हुआ, और जीडीपी में संकुचन में उल्लेखनीय कमी हुई। कृषि क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन 3.4 प्रतिशत के साथ जारी रहा। सेवा क्षेत्र नकारात्मक दिशा में बना रहा, हालांकि व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण सेवाओं जैसे क्षेत्रों में सुधार होने से गिरावट में कुछ लगाम लगी।
घोष ने इकोरैप में लिखा, ‘‘सबसे आश्चर्यजनक आंकड़ा दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि है। पहली तिमाही में (लॉकडाउन के कारण) सबसे अधिक प्रभावित होने के बावजूद यह प्रदर्शन काफी हैरान करने वाला है कि विनिर्माण अपने आप कैसे बदल गया।’’
उन्होंने लिखा कि इसकी एक वजह लागत में भारी कमी हो सकती है, जैसा कि हमने दूसरी तिमाही में कॉरपोरेट आय के नतीजों में देखा।
उन्होंने आगे कहा कि खासतौर से छोटी कंपनियों, जिनका कारोबार 500 करोड़ रुपये तक है, ने लागत में कटौती की अधिक कोशिश की और कर्मचारियों की संख्या में 10-12 तक कमी की।
घोष ने आगे कहा कि यह भविष्य में खपत बढ़ने का एक मजबूत संकेत है और इसके साथ ही भंडारण निर्माण के संकेत भी हैं, जो आगे विनिर्माण को बढ़ावा दे सकता है।
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