क्या गरीबों और वंचितों को मुफ्त में लगेगा कोविड-19 का टीका :कांग्रेस ने सरकार से पूछा

Edited By PTI News Agency,Updated: 17 Jan, 2021 09:23 PM

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नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) भारत में कोविड-19 का टीकाकरण अभियान शुरू होने के एक दिन बाद कांग्रेस ने रविवार को पूछा कि क्या सरकार की सभी भारतीयों को, खासकर वंचितों और गरीबों को मुफ्त टीका लगाने की योजना है और यह कब लगाया जाएगा?

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) भारत में कोविड-19 का टीकाकरण अभियान शुरू होने के एक दिन बाद कांग्रेस ने रविवार को पूछा कि क्या सरकार की सभी भारतीयों को, खासकर वंचितों और गरीबों को मुफ्त टीका लगाने की योजना है और यह कब लगाया जाएगा?
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार दावा करती है कि टीकाकरण अभियान के पहले चरण में तीन करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा, लेकिन इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि क्या भारत की शेष आबादी को टीका लगाया जाएगा और क्या यह मुफ्त लगाया जाएगा?
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘क्या सरकार को नहीं पता कि 81.35 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी वाले राशन के हकदार हैं? क्या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों, गरीबों और वंचितों को टीका मुफ्त में लगाया जाएगा या नहीं? अगर हां तो टीकाकरण की क्या योजना है और कब तक सरकार नि:शुल्क टीकाकरण कराएगी।’’
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को जवाब देना होगा। मुफ्त कोरोना टीका किसे लगेगा? कितने लोगों को मुफ्त कोरोना टीका लगेगा? मुफ्त टीका कहां लगेगा?’’
कांग्रेस नेता ने कोविड-19 के दो टीकों ‘कोवैक्सीन’ और ‘कोविशील्ड’ के मूल्य को लेकर भी सवाल खड़े किये।
भारत बायोटेक द्वारा स्वदेश विकसित कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित तथा भारत में एसआईआई द्वारा निर्मित कोविशील्ड को देश में सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने पूछा कि सरकार ने इन टीकों को अनिवार्य दवाओं की राष्ट्रीय सूची में क्यों नहीं रखा है।

कांग्रेस महासचिव ने पूछा कि सरकार को भारत बायोटेक को एक टीके के लिए 95 रुपये अधिक क्यों देने चाहिए जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों के अनुभव और विशेषज्ञता के साथ विकसित किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या ऐसे टीके की कीमत एस्ट्राजेनेका-सीरम इंस्टीट्यूट के टीके से कम नहीं होनी चाहिए? खुले बाजार में कोरोना के टीके की कीमत 1,000 रुपये प्रति खुराक क्यों है।’’
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को कंपनियों से उत्पादन की लागत और टीके से हो रहे मुनाफे पर पारदर्शिता बरतने को कहना चाहिए।

उन्होंने टीकाकरण अभियान की शुरुआत को ‘प्रचार का हथकंडा’ करार देते हुए कहा कि देश के वैज्ञानिकों ने पहले भी कई टीकों का विकास किया है लेकिन इस तरह का माहौल नहीं बनाया गया।

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘टीके का विकास और सामूहिक टीकाकरण ना तो कोई इवेंट है और ना ही प्रचार का हथकंडा, बल्कि ये जनता की सेवा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं।’’
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत अपने अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं - डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों और अन्य को कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक साथ खड़ा है, वहीं यह भी याद रखा जाए कि टीकाकरण एक महत्वपूर्ण जनसेवा है और राजनीतिक या कारोबारी अवसर नहीं है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘सभी के लिए कोरोना का टीका इस सरकार की नीति होनी चाहिए।’’
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार की नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित टीके की जीत होगी।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई टीका या टीके जीतेंगे, ना कि सरकार या पौराणिक मान्यताएं।’’
चिदंबरम ने कहा, ‘‘अगर हम इस लड़ाई को जीत जाते हैं तो पूरा श्रेय भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को जाना चाहिए। अपने वैज्ञानिकों को सलाम करें और विज्ञान को प्रचारित करने तथा एक वैज्ञानिक माहौल तैयार करने का संकल्प लें।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश में टीकाकरण अभियान की शुरूआत की।

उन्होंने कहा कि दोनों टीकों से कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में निर्णायक जीत मिलेगी।


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