टीकों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मोदी

Edited By PTI News Agency,Updated: 15 Apr, 2021 05:12 PM

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नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 रोधी टीकों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने इस महामारी के खिलाफ सामुदायिक संगठनों, राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ)...

नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 रोधी टीकों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने इस महामारी के खिलाफ सामुदायिक संगठनों, राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की संयुक्त शक्ति का उपयोग करने का आह्वान किया।

देश भर में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और इस महामारी के खिलाफ जारी टीकाकरण अभियान के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों व उपराज्यपालों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद करते हुए मोदी ने उनसे सामाजिक संगठनों के राज्य सरकारों के साथ मिलकर निर्बाध काम करने की भी अपील की।

राज्यपालों को कोविड-19 के खिलाफ जंग में एक महत्वपूर्ण स्तंभ करार देते हुए उन्होंने पिछले साल इस महामारी से लड़ाई में लोगों की भागीदारी की सराहना की और कहा कि इस बार भी उसी तरह जनभागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

एक बार फिर (कोविड-19 मरीज की) जांच, संपर्क का पता लगाने और उपचार करने के फार्मूले के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार टीकों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए प्रतिबद्ध है।

इस डिजिटल संवाद में प्रधानमंत्री के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी हिस्सा लिया।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। बुधवार को देश भर में संक्रमण के कुल 1.83 लाख मामले दर्ज किए गए।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने कहा कि टीकाकरण के साथ-साथ कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मूल्य और दायित्व सबसे बड़ी ताकत हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में राज्यपालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। राज्य सरकारों और समाज के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने का वे बेहतर माध्यम बन सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी सामुदायिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और सामजिक संस्थानों की संयुक्त शक्ति का उपयोग करना जरूरी है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का पिछले साल का अनुभव है और साथ ही एक बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था भी। उन्होंने आरटी-पीसीआर जांच पर जोर दिया और कहा कि आज पीपीई किट और अन्य जरूरी उपकरणों के मामले में देश आत्मनिर्भर है।

पिछले चार दिनों तक चले टीका उत्सव के सकारात्मक प्रभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान टीकाकरण के दायरे का विस्तार किया गया और टीकाकरण केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई गई।

उन्होंने कहा कि सरकार टीकों की पर्याप्त उपलब्धता के लिए कटिबद्ध है। साथ ही यह जानकारी भी दी कि सबसे कम समय में तेजी से 10 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने के मामले में भारत सबसे आगे रहा।

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इस अवसर पर अपने संबोधन में सभी से आग्रह किया कि राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर कोरोना वायरस महामारी को हराने के लिए टीम की तरह काम करें।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए नयी ऊर्जा के साथ ‘जांच, नजर रखने और उपचार करने’ की सिद्ध एवं प्रामाणिक रणनीति को लागू करने की जरूरत है।

नायडू ने कहा कि हमने पिछले साल जो सबसे उपयोगी सबक सीखा है कि हम सामूहिक कामकाज की वजह से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सफल रहे।

उप राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर कोविड-19 की रणनीति तय की है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर टीम की तरह मिलकर काम करें।

देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए नायडू ने आगाह किया कि स्वास्थ्य ढांचे पर निश्चित रूप से बहुत दबाव रहेगा।

बयान के अनुसार, ‘‘उन्होंने 10 राज्यों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत बताई जहां पिछले 14 दिन में देशभर के आये संक्रमण के 85 प्रतिशत मामले और 89 प्रतिशत मौत के मामले सामने आये हैं।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा कि देश आज पिछले साल की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से तैयार है क्योंकि देश ने पिछले एक साल में अवसंरचना को मजबूत किया है।

महामारी के खिलाफ लड़ाई में हर राज्यपाल की राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए नायडू ने कहा कि उन्हें अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर सक्रियता से काम करना चाहिए और आम-सहमति बनानी चाहिए।

उन्होंने राज्यपालों से कहा, ‘‘आप केवल अपना अनुभव और विशेषज्ञता ही साझा नहीं कर सकते बल्कि और अधिक प्रभावी रणनीति बनाने पर राज्य सरकार को मार्गदर्शन भी दे सकते हैं।’’

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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