भारत के विभाजन में क्षेत्र ही नहीं, मन भी बंटे थे : राम माधव

Edited By PTI News Agency,Updated: 25 Sep, 2021 10:19 PM

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता राम माधव ने शनिवार को कहा कि भारत का विभाजन केवल क्षेत्र का नहीं हुआ था बल्कि मन भी बंट गये थे। उन्होंने कहा कि आपस में जोड़ने के तरीकों को तलाशने और उन तत्वों को...

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता राम माधव ने शनिवार को कहा कि भारत का विभाजन केवल क्षेत्र का नहीं हुआ था बल्कि मन भी बंट गये थे। उन्होंने कहा कि आपस में जोड़ने के तरीकों को तलाशने और उन तत्वों को हतोत्साहित करने की आवश्यकता है, जो अलगाववादी विचार में विश्वास रखते हैं।
माधव ने कहा कि ‘अखंड भारत’ के विचार को केवल भौतिक सीमाओं को मिलाने के बारे में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि विभाजन की भयावहता से जो मानसिक बाधाएं पैदा हुईं उन्हें मिटाने के प्रयास के रूप में समझा जाना चाहिए।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की ओर से ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को सम्बोधित करते हुए माधव ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक ‘दैत्य’ के रूप में बढ़ने का मौका दिया गया और वह भारत का विभाजन कराने के लिए तुले हुए थे।
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य माधव ने विभाजन को एक “प्रलयकारी घटना” बताया, जो गलत निर्णयों की वजह से हुआ। उन्होंने कहा, “भारत का विभाजन उस दौरान अन्य कई देशों में हुए विभाजन जैसा नहीं था। वह केवल सीमाओं का बंटवारा नहीं था…,वह इस झूठे सिद्धांत पर किया गया था कि हिंदू और मुसलमान अलग राष्ट्र हैं जबकि वे भिन्न पद्धतियों को मानते हुए भी एक साथ रह रहे थे।”
उन्होंने कहा,‘‘ विभाजन से महत्वपूर्ण सबक भी मिले हैं और हमें अतीत की उन गलतियों से सीखना चाहिए तथा जो लोग बंट गए उनके बीच “पुल बनाने” का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का बंटवारा केवल क्षेत्र का विभाजन नहीं था बल्कि मन भी बंट गये थे।’’
माधव ने कहा, ‘‘हमें मन के बंटवारे की दीवारों को ढहाना हेागा और एक अखंड भारतीय समाज बनाना होगा ताकि भारत को भविष्य में कभी विभाजन की एक अन्य त्रासदी को नहीं झेलना पड़े। और अगला कदम होगा सेतु का निर्माण करना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें सेतु निर्माण के तरीके तलाशने होंगे, तभी विभाजन (के प्रभावों) को वास्तविक तौर पर निष्प्रभावी किया जा सकता है। भले ही भौगोलिक, राजनीतिक एवं भौतिक सीमाएं बरकरार रहें, किंतु मानसिक बाधाएं, विभाजित हृदय की सीमाओं को मिटाया जाना चाहिए।’’
माधव ने कहा, ‘‘वास्तव में हमें ‘अखंड भारत’ के पूरे विचार को इसी दृष्टिकोण से देखना चाहिए, भौतिक सीमाएं मिटाने की नजर से नहीं। किंतु मन की उन बाधाओं को दूर करना चाहिए, जो विभाजन की भयावह गाथा के कारण पैदा हुई।’’
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने 14 अगस्त के दिन को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। सहस्रबुद्धे ने कहा कि विभाजन के पक्षों को “पंथनिरपेक्षता के झंडाबरदारों द्वारा मिटाने का प्रयास किया गया।”
उन्होंने कहा, “यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमारा वह संकल्प और दृढ़ होता है कि हम अपनी पवित्र मातृभूमि को और विभाजित करने के प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे।” सहस्रबुद्धे ने विभाजन की भयावहता और उस दौरान हुई हत्याओं, आगजनी, लूट तथा बलात्कार की घटनाओं को “एक प्रकार के आतंकवाद” की संज्ञा दी और कहा कि इस दिन को याद करने से विभाजनकारियों के विरुद्ध आक्रोश को आवाज मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इससे उन परिवारों के दुख भी कम होंगे जो विभाजन से प्रभावित हुए थे।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने कुलपति एम जगदीश कुमार ने कहा कि विभाजन की नींव “द्वितीय विश्व युद्ध के समय ही रख दी गई थी”, जब अंग्रेजों ने जिन्ना के साथ एक समझौता कर लिया था, जो भारत के विभाजन के लिए उनकी सहायता करने वाले थे। कुमार ने कहा कि दोनों ने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए धर्म को औजार के तौर पर इस्तेमाल किया।


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