टीकाकरण के इस चरण में इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है: केंद्र ने न्यायालय से कहा

Edited By PTI News Agency,Updated: 29 Nov, 2021 10:24 PM

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने इस चरण में कोविड-19 टीका दिए जाने को अनिवार्य नहीं बनाया है। साथ ही, कहा कि औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा क्लीनिकल ट्रायल से संबंधित सभी डेटा और टीकाकरण के...

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने इस चरण में कोविड-19 टीका दिए जाने को अनिवार्य नहीं बनाया है। साथ ही, कहा कि औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा क्लीनिकल ट्रायल से संबंधित सभी डेटा और टीकाकरण के डेटा जिसे कानून के अनुसार जारी किया जाना आवश्यक है और जारी किया जा सकता है, वे पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।

केंद्र द्वारा शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा गया है कि इस समय केंद्र और राज्य सरकारों का पूरा ध्यान टीकाकरण अभियान पर होना चाहिए और लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सरकार ने कहा है, ‘‘इसलिए, इस समय यह वांछनीय नहीं है कि करोड़ों नागरिकों के महामारी से बचाव के अधिकार का उल्लंघन करने की कीमत पर राष्ट्र हित के खिलाफ कदम उठाने का प्रयास करने वाले कुछ तत्वों के पीछे के उद्देश्यों का पता लगाने में समय लगाया जाए।’’
केंद्र ने कहा कि कोविड-19 टीकों की मंजूरी के संबंध में निर्णय विशेषज्ञ समितियों द्वारा लिया गया है, जिसमें टीका निर्माताओं द्वारा आपूर्ति किए गए डेटा, जानकारी के आधार पर और इसके असर तथा सुरक्षा पर विचार करने के बाद फैसला किया गया।

सरकार ने कहा, ‘‘बैठकों और अनुमति के पहले समिति के विचार-विमर्श के विवरण पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। कोविड-19 टीकों की मंजूरी के संबंध में निर्णय निर्माताओं द्वारा प्रदान किए गए डेटा, सूचना के सत्यापन के बाद और इसके असर तथा सुरक्षा पर विचार करने के बाद विशेषज्ञ समितियों द्वारा लिए गए हैं।’’
हलफनामे में कहा गया है कि टीकाकरण के बाद दुष्प्रभाव के मामलों का डेटा पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और संबंधित अधिकारी लगातार इस डेटा की निगरानी और जांच कर रहे हैं और ‘‘केंद्र सरकार ने इस स्तर पर कोविड-19 टीका दिए जाने को अनिवार्य नहीं किया है।’’
सरकार ने कहा कि क्लीनिक ट्रायल से संबंधित सभी डेटा और टीकाकरण के डेटा जिसे कानून के अनुसार जारी किया जाना आवश्यक है और जारी किया जा सकता है, वे पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।

केंद्र ने जैकब पुलियेल की एक याचिका के जवाब में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि यह याचिका कथित तौर पर एक जनहित याचिका के रूप में दायर की गई है और अगर इस पर विचार किया जाता है तो यह जनहित के लिए नुकसानदेह होगा।

सरकार ने कहा, ‘‘इसलिए यह उल्लेख किया जाता है कि 2019 के नियमों तथा औषधि और प्रसाधन सामग्री कानून, 1940 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने और प्रख्यात वैज्ञानिक विशेषज्ञों के बीच विस्तृत विचार-विमर्श के बाद सभी आवश्यक सावधानी बरतते हुए कोविड-19 महामारी के मद्देनजर प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीकों को मंजूरी दी गई है।’’


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