उच्च न्यायालय का हॉकी इंडिया को सदस्यों का विवरण, कर्मचारियों के वेतन का खुलासा करने का निर्देश

Edited By PTI News Agency,Updated: 21 Jan, 2022 09:23 AM

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नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हॉकी इंडिया को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन का विवरण सीलबंद लिफाफे में अदालत को देने का निर्देश दिया है।

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हॉकी इंडिया को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन का विवरण सीलबंद लिफाफे में अदालत को देने का निर्देश दिया है।

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने विवरण का खुलासा करने के लिए हॉकी इंडिया को निर्देश दिया था लेकिन उसने आदेश को अदालत में चुनौती दी।
न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की एकल पीठ इस विवरण का खुलासा करने संबंधी सीआईसी के निर्देश को चुनौती देने वाली हॉकी इंडियायाचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को मामले में अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा कि वह अंतरिम राहत के पहलू पर ‘‘कुछ नहीं कह रहे हैं।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप जो भी पालन करना चाहते हैं, उसका पालन करें। मैं इस बारे में नहीं कह रहा हूं। कानून का पालन करें। मैं मामले को सुनवाई के लिए रख रहा हूं।’’ अदालत मामले पर आगे आठ अप्रैल को सुनवाई करेगी।

अदालत ने कहा, ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि सुश्री श्येल त्रेहान (याचिकाकर्ता की वकील) एक सीलबंद लिफाफे में सुनवाई की अगली तारीख पर जानकारी पेश करेंगी।’’
अदालत ने 13 जनवरी को इस चरण में हॉकी इंडिया को जानकारी का खुलासा करने का निर्देश देने वाले सीआईसी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुआ कहा था कि राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) और एक सार्वजनिक प्राधिकार होने के नाते, याचिकाकर्ता इस तरह की जानकारी का खुलासा करने से पीछे नहीं हट सकता है। यहां तक कि न्यायाधीशों का वेतन भी सभी को पता है।

हॉकी इंडिया ने सीआईसी के 13 दिसंबर 2021 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसे आरटीआई के तहत अपने सदस्यों की पूरी सूची उनके पदनाम और आधिकारिक पते, उनके कर्मचारियों के नाम, उनके वेतन और सकल आय के साथ विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया गया।

केंद्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता सीआईसी के निर्देशानुसार सूचना का खुलासा करने से पीछे नहीं हट सकता है क्योंकि वह एक सार्वजनिक प्राधिकार है। केंद्र सरकार ने पूर्व में अदालत को बताया था कि सीआईसी का आदेश राष्ट्रीय खेल संहिता और केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।

आरटीआई आवेदक सुभाष चंद्र अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि हॉकी इंडिया सार्वजनिक कर्तव्यों का पालन कर रही है और इस प्रकार सीआईसी के आदेश के तहत जानकारी का खुलासा करने के लिए बाध्य है।



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