घोटाला मामलों में प्राथमिकियों को एक जगह करने का न्यायालय का आदेश

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 May, 2022 03:52 PM

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे की कार्यवाही कई अदालतों में चलने को ‘‘व्यापक जनहित के खिलाफ’’ बताते हुए करोड़ों रुपये के कथित ''बाइक बोट'' और ''ग्रैंड वेनिस मॉल'' घोटालों के संबंध में कई प्राथमिकियों को एकसाथ करने के साथ ही...

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे की कार्यवाही कई अदालतों में चलने को ‘‘व्यापक जनहित के खिलाफ’’ बताते हुए करोड़ों रुपये के कथित 'बाइक बोट' और 'ग्रैंड वेनिस मॉल' घोटालों के संबंध में कई प्राथमिकियों को एकसाथ करने के साथ ही इसके परिणामस्वरूप होने वाली सुनवाई को ग्रेटर नोएडा की एक अदालत में किये जाने की इजाजत दी। शीर्ष अदालत ने इसके लिए अपने विशेष शक्ति का इस्तेमाल किया।

बाइक बोट योजना घोटाले के संबंध में उत्तर प्रदेश में कई लोगों के खिलाफ 100 से अधिक और दिल्ली में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

जांच एजेंसी के अनुसार, बाइक टैक्सी सेवा योजना में निवेश पर आकर्षक रिटर्न के झूठे वादे पर दो लाख से अधिक लोगों से कथित तौर पर लगभग 15,000 करोड़ रुपये की ठगी की गई।

कथित ग्रैंड वेनिस मॉल घोटाले के सिलसिले में कई लोगों के खिलाफ लगभग 46 प्राथमिकी दर्ज की गईं, जिनमें निवेशकों ने दावा किया कि उन्हें जमीन का प्लॉट सौंपने को लेकर आरोपियों द्वारा ठगी की गई।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ उन याचिकाओं पर विचार कर रही थी, जिसमें आरोपियों ने जमानत दिये जाने, दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण, प्राथमिकी को एकसाथ करने और सुनवाई एकजगह पर उस स्थान पर करने का अनुरोध किया जहां कथित अपराध किया गया।
उसने कहा, ‘‘हालांकि, इन रिट याचिकाओं में विविध राहत का अनुरोध किया गया है, पक्षों के लिए पेश विद्वान वकील मोटे तौर पर इससे सहमत हुए हैं कि वे बाइक बोट योजना के संबंध में दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों को पुलिस थाना दादरी, जिला गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में दर्ज मुख्य प्राथमिकी के साथ एकजगह करने की राहत तक सीमित रखेंगे।’’
पीठ ने प्राथमिकियों को एकजगह करने का आदेश देते हुए कहा, ‘‘हमारा यह भी मानना ​​है कि कई जगह मुकदमे की कार्यवाही जनहित में भी नहीं होगी।’’
उसने टेलीविजन पत्रकार अमीश देवगन के मामले में पारित शीर्ष अदालत के फैसले का भी उल्लेख किया और संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी व्यापक शक्ति का प्रयोग करते हुए घोटाले के दोनों मामलों में प्राथमिकियों को एक जगह करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं में से एक सतिंदर सिंह भसीन की ओर से पेश हुए वकील विशाल गोसाईं ने दलील दी कि कई जगह मुकदमे की कार्यवाही से बचने के लिए समान आरोपों से संबंधित प्राथमिकी को एकसाथ किया जाना चाहिए।



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