नेत्र, नैटग्रिड के तहत निगरानी के लिए किसी भी एजेंसी को व्यापक अनुमति नहीं: केंद्र ने अदालत से कहा

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 Jun, 2022 10:04 PM

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नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली (सीएमएस), नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्र) और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) के तहत किसी भी एजेंसी को किसी संदेश या सूचना को पकड़ने या इस पर...

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली (सीएमएस), नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्र) और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) के तहत किसी भी एजेंसी को किसी संदेश या सूचना को पकड़ने या इस पर नजर रखने या विकोडन (डीकोडिंग) करने की व्यापक अनुमति नहीं दी गई है।

इसने कहा है कि किसी भी संदेश या संदेशों के वर्ग या किन्हीं कंप्यूटर संसाधनों में संग्रहीत किसी भी जानकारी की वैध निगरानी या विकोडन, कानूनी और वैधानिक शक्तियों वाली अधिकृत कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किया जाता है और यह प्रत्येक मामले में सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित अनुमोदन के बाद किया जाता है।

सरकार ने अपने हलफनामे में सीएमएस, नेत्र और नैटग्रिड निगरानी प्रणालियों की आवश्यकता का बचाव करते हुए कहा कि "आतंकवाद, कट्टरपंथ, सीमा पार आतंकवाद, साइबर अपराध, संगठित अपराध, मादक पदार्थों के तस्करों के संगठित गिरोह से देश को गंभीर खतरों को कम करके नहीं आंका जा सकता या उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"
इसने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित खतरों का मुकाबला करने के वास्ते ‘सिग्नल इंटेलिजेंस’ सहित एक मजबूत तंत्र कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी के त्वरित संग्रह के लिए अनिवार्य है।

एक जनहित याचिका के जवाब में गृह मंत्रालय, संचार मंत्रालय एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संयुक्त हलफनामा दायर किया गया। याचिका में कहा गया है कि इन निगरानी प्रणालियों से नागरिकों की निजता का अधिकार "खतरे" में पड़ रहा रहा है।

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) द्वारा दायर संयुक्त याचिका में दावा किया गया है कि ये निगरानी प्रणालियां केंद्र और राज्य की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सभी दूरसंचार को पकड़ने और उसकी निगरानी करने की अनुमति देती हैं जो व्यक्तियों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, "किसी भी एजेंसी को सूचना या संदेशों को पकड़ने या इनकी निगरानी करने या विकोडन के लिए कोई व्यापक अनुमति नहीं गई है, और प्रत्येक मामले में कानून एवं नियमों की उचित प्रक्रिया के अनुसार सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति की आवश्यकता होती है।"


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