अगला भूकंप कब और कहां आएगा!

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2016 10:31 AM

earthquake astrology

आकाश मंडल में इस समय 9 में से 6 ग्रह मंगल, शनि, गुरु, बुध, राहू तथा केतू वक्री चाल में हो गए हैं। मंगल और शनि वक्री होने के अलावा वृश्चिक राशि में ही हैं। आज आधे विश्व पर भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। केवल अप्रैल महीने के अंदर ही हाल ही में...

आकाश मंडल में इस समय 9 में से 6 ग्रह मंगल, शनि, गुरु, बुध, राहू तथा केतू वक्री चाल में हो गए हैं।  मंगल और शनि वक्री होने के अलावा वृश्चिक राशि में ही हैं।  आज आधे विश्व पर भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। केवल अप्रैल महीने के अंदर ही  हाल ही में इक्वाडोर, जापान, म्यांमार, बंगलादेश, चीन, पाकिस्तान और भारत इसकी चपेट में आ चुके हैं। अगला भूकंप कब और कहां आएगा, अभी तक विज्ञान इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाया। 

हालांकि  वैदिक ज्योतिष में, इसकी काफी अच्छी जानकारी दी गई है जो यह तो बता सकता है कि इस अवधि में भूकंप या दैवीय आपदा आएगी और कौन सा भू-भाग प्रभावित होगा परंतु किस दिन या समय या देश में होगा इसमें अभी विज्ञान की तरह ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत रिसर्च की आवश्यकता है। 

 

अभी वर्ष के 4 महीने भी नहीं गुजरे हैं कि भारत में जनवरी के आरंभ में पठानकोट की आतंकवादी घटना, दिल्ली में देश विरोधी घटनाएं, कश्मीर में आतंकवादी हमले, दो प्रमुख नगरों में फ्लाईओवर गिरने, केरल में मंदिर के पास पटाखों के कारण आगजनी आदि हो चुके हैं।

ग्रह चाल 

वर्ष 2016 का योग 9 बनता है। नए साल 2016  के पहले दिन शुक्रवार था और नव संवत 8 अप्रैल को भी शुक्रवार पड़ा । यही नहीं, पंचागानुसार, नव संवत 2073 का राजा शुक्र है और मंत्री बुध। इस वर्ष 9 मार्च को सूर्य ग्रहण लगा और अब पहली सितम्बर को भी लगेगा।

 

इस समय 9 में से 6 ग्रह वक्री चाल में हैं। एक-दूसरे के परम शत्रु ग्रह -मंगल और शनि वक्री होने  के अलावा  वृश्चिक राशि में फरवरी से सितंबर तक 211 दिन रहेंगे। इसके अलावा गुरु और राहू के मेल से फरवरी से लेकर जुलाई तक ‘चांडाल योग’ बना हुआ है ।

 

ज्योतिषीय नियमों के अनुसार जब भी मुख्य ग्रह वक्री होते हैं या शनि व मंगल एक-दूसरे के साथ हों या आमने-सामने हों तो सूर्य या चंद्र ग्रहण के 41 दिनों के भीतर धरती पर भूकंप, प्राकृतिक आपदा, जलीय आपदा, सुनामी, अग्निकांड, मानवीय दुर्घटनाएं, युद्ध , खंड प्रलय आदि होने की पूर्ण संभावनाएं रहती हैं।

 

अब इन्हीं ज्योतिषीय नियमों के अनुसार दृष्टांत दुर्योगों के कारण 20 अप्रैल से 26 जून के मध्य कुछ अशुभ खगोलीय घटनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। इस कालखंड में आधा विश्व प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदा, भूकंप, भू-स्खलन, सुनामी, वायु एवं रेल दुर्घटना जैसी दुर्घटनाओं की आशंका से घिरा रह सकता है। इस वर्ष गर्मी का प्रकोप अधिक रहेगा। अप्रैल के मध्य में ही पारा 44 डिग्री तक पहुंच गया है। कई शहरों में गर्मी का पिछले 100 सालों का रिकार्ड  टूटेगा और पशु धन के अलावा जानमाल का भी नुक्सान हो सकता है।

 

यही नहीं, इस वर्ष वर्षा भी अप्रत्याशित रूप से अधिक होगी अर्थात मौसम बड़ा बेईमान रहेगा। गर्मी और बरसात दोनों ही प्रचंड हो सकती है। धार्मिक उन्माद  बढ़ेगा। आपने नेताओं और धर्मगुरुओं के विवादित बयान सुन ही लिए हैं। संवत का राजा शुक्र, नए संवत और नए साल का पहला दिन शुक्रवार होने से महिला सशक्तिकरण बढ़ेगा। इसका असर आप शिंगणापुर के शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देख ही चुके हैं।

 

इस वर्ष सबसे बड़ा खतरा एक बड़े भूकंप का रहेगा इसलिए आपदा प्रबंधन को अधिक सतर्क रहना पड़ेगा। वैज्ञानिकों को इस दिशा में और अनुसंधान करना होगा ताकि धरती के किस क्षेत्र में भूकंप या अन्य आपदाएं किस समय आएंगी इसका पूर्वानुमान लगाया जा सके। खगोल में ऐसे योग, हजारों सालों में कई बार दोहराए जाते हैं और दुर्घटनाएं इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं। 

—मदन गुप्ता सपाटू

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