मनचाही खुशियों के लिए भटक रहे लोग करें छोटे-छोटे उपाय, इस बात का रखें ध्यान

Edited By ,Updated: 08 Sep, 2016 01:58 PM

ganpati bappa measure

गणेश जी रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा रक्त वस्त्रधारी हैं। अपने स्वजनों, उपासकों पर कृपा करने के लिए वह साकार हो जाते हैं। उनके मुख का दर्शन करना

गणेश जी रक्तवर्ण,  लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा रक्त वस्त्रधारी हैं। अपने स्वजनों, उपासकों पर कृपा करने के लिए वह साकार हो जाते हैं। उनके मुख का दर्शन करना अत्यंत मंगलमय माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं उनका एक अंग ऐसा भी है जिसके दर्शन करने से दरिद्रा आती है।
  
गणपति जी के कानों में वैदिक ज्ञान, सूंड में धर्म, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, पेट में सुख-समृद्धि, नेत्रों में लक्ष्य, नाभि में ब्रह्मांड, चरणों में सप्तलोक और मस्तक में ब्रह्मलोक होता है। जो जातक शुद्ध तन और मन से उनके इन अंगों के दर्शन करता है उसकी विद्या, धन, संतान और स्वास्थ्य से संबंधित सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटों से छुटकारा मिलता है। 
 
शास्त्रों के अनुसार गणपति बप्पा की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। मान्यता है की उनकी पीठ में दरिद्रता का निवास होता है, इसलिए पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए।  अनजाने में पीठ के दर्शन हो जाएं तो पुन: मुख के दर्शन कर लेने से यह दोष समाप्त हो जाता है। 
 
इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटों से छुटकारा मिलता है। इस गणेशोत्सव पर भटके हुए लोग कुछ छोटे-छोटे उपाय अपनाकर मनचाही खुशियां पा सकते हैं:
 
* गणेश जी पर हल्दी से पीले किए गए गोमती चक्र चढ़ाएं। फिर उन्हें तिजोरी में रख लें। लक्ष्मी कृपा बनी रहेगी। 
 
* गणेश जी पर चार लड्डू का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान करें। पारिवारिक सुख शांति बनी रहेगी।
 
* पीले फूल चढ़ाएं। धन हानि से बचेंगे।
 
* पान के पत्ते पर स्वास्तिक बनाकर गणेश जी पर अर्पित करें। शत्रुओं का नाश होगा। 

* मक्की के दाने गणेश जी पर चढ़ाकर रसोई घर में छिपा कर रख दें इससे अन्न-धन की कमी नहीं होगी।  

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