28 की उम्र, 16 फ्रैक्चर और 6 सर्जरी, अपने दम पर आईएस बनीं उम्मुल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jun, 2017 07:30 PM

even after getting sick this girl has achieved the success in the first attempt

हॉल में ही यूपीएसई ने अपने परीक्षा परिणामों की घोषणा की है। लेकिन यह परीक्षा ...

नई दिल्ली: हॉल में ही यूपीएसई ने अपने परीक्षा परिणामों की घोषणा की है। लेकिन यह परीक्षा परिणाम किसी की जिंदगी में बहुत मायने रखता है। हर किसी की जिंदगी में बहुत सी परेशानियां आती है लेकिन जरुरी है कि सभी मुश्किलों का सामना करने के बाद भी आगे बढ़ने के लिए लगातार कोशिश करते रहना। उम्मुल खेर एक एेसा नाम है जिसने साबित कर दिया है कि अगर सच्चे दिल से मेहनत करो तो कुछ भी पाना मुश्किल नहीं है।

बचपन से ही तमाम बधाओं का सामना करने वाली इस लड़की ने कठिन परिस्थितयों का सामना करने के बाद भी अपने आईएएस बनने के सपने को साकार किया । राजस्थान की रहने वाली उम्मुल खेर ने अपने पहले प्रयास में ही 420वां रैक हासिल कर सफलता हासिल की है। बचपन से ही  अजैले बोन डिसऑर्डर नाम की बीमारी हो गई थी।  ये बीमारी आमतौर पर हड्डी के विकार से संबंधी होती है। दूसरी चुनौती यह थी कि गरीबी भी उन्हें विरासत में मिली थी। 

क्या है अजैले बोन डिसऑर्डर 
ये बीमारी हड्डी के विकार से संबंधित होती है। इस बीमारी से सारी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जब हड्डियां ज्यादा कमजोर हो जाती है तो ज्यादा गिरने का डर रहता है. गिरने के साथ ही फ्रैक्चर होने की संभावना बड़ जाती है। बता दें कि 28 साल की उम्र में उम्मुल को लगभग 16 बार फ्रैक्चर का सामना करना पड़ा।

ये थे परिवार के हालात
इनका बचपन गरीबी में झुग्गियों में गुजरा। उम्मुल के पिता मूंगफली बेचा करते थे. 2001 में झुग्गियों के टूटने के बाद ये त्रिलोकपुरी में शिफ्ट हो गए थे। उम्मुल समझ चुकी थी कि अगर आगे बढ़ना है तो इसके लिए पढ़ना बहुत जरुरी है, लेकिन उसके परिवार वाले उसे पढ़ाना नहीं चाहते थे। इसी दौरान मां का  देहांत हो गया जो उनका एकमात्र सहारा थी ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी।

पिता ने दूसरी शादी कर ली. उनकी सौतेली मां का उनके साथ व्यवहार अच्छा नहीं था तो अंत में उन्होंने घर छोड़ दिया और एक किराए के मकान में रहने लगी। साथ ही ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्चा चलाने लगी  ।ट्यूशन पढ़कर उन्हें 50 -100रुपये मिलते थे जिससे वो अपना खर्चा निकालती थीं। 

तमाम परेशानियों को मात देकर क्लियर किया आईएएस
बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थी। उनके दसवीं में 91 फीसदी, और बाहरवीं में 90 फीसदी अंक हासिल किए थे। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है और फिर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इस सब के चलते वो इतनी व्यस्त हो गई की आईएएस बनने के सपने को भूल ही गई थी, लेकिन पिछले साल उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की और पहली ही कोशिश में एग्जाम पास कर लिया। 

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