सितारों तक पहुंचने का सपना अधूरा, 166 लोगों की राख समेत कैप्सूल समंदर में गिरा

Edited By Updated: 07 Jul, 2025 10:51 AM

mission to send ashes into space mission possible capsule crash

विज्ञान और भावनाओं के संगम से उपजा एक सपना, धरती से दूर सितारों की दुनिया में अपनों की अंतिम विदाई की ख्वाहिश... लेकिन यह अनोखा प्रयास अधूरा रह गया। जर्मनी की एक स्टार्टअप कंपनी एक्सप्लोरेशन ने 'Mission Possible'  ने 166 ऐसे लोगों की राख को अंतरिक्ष...

नेशलन डेस्क: विज्ञान और भावनाओं के संगम से उपजा एक सपना, धरती से दूर सितारों की दुनिया में अपनों की अंतिम विदाई की ख्वाहिश... लेकिन यह अनोखा प्रयास अधूरा रह गया। जर्मनी की एक स्टार्टअप कंपनी एक्सप्लोरेशन ने 'Mission Possible'  ने 166 ऐसे लोगों की राख को अंतरिक्ष में भेजा था, जिनकी इच्छा थी कि मरने के बाद उनका अंतिम ठिकाना धरती नहीं बल्कि ब्रह्मांड हो। 'मिशन पॉसिबल' नाम के इस अभियान में राख से भरा एक कैप्सूल रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया। लेकिन कुछ ही समय में यह कैप्सूल पृथ्वी की ओर लौट आया और अंततः प्रशांत महासागर में गिरकर समंदर की गहराइयों में खो गया। कंपनी ने इसे “आंशिक सफलता” बताया है, परंतु यह घटना तकनीक और भावनाओं के बीच मौजूद नाजुक संतुलन की याद भी दिलाती है। इस खास कैप्सूल को एक रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया। कंपनी के अनुसार यह कैप्सूल पृथ्वी की दो बार परिक्रमा करने में सफल रहा। यह अपने निर्धारित कक्षा (Orbit) में भी कुछ समय तक स्थिर रहा और उसने कुछ तकनीकी परीक्षणों को भी सफलतापूर्वक पूरा किया।

लेकिन फिर हुआ तकनीकी हादसा

पृथ्वी के चारों ओर दो चक्कर लगाने के बाद अचानक यह कैप्सूल वापस धरती की ओर आने लगा। कुछ समय तक इसका नियंत्रण बना रहा लेकिन फिर अचानक संपर्क टूट गया। थोड़ी ही देर बाद यह खबर आई कि कैप्सूल प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में क्रैश कर गया है और समंदर की गहराइयों में समा गया है।

कंपनी की प्रतिक्रिया: "मिशन आंशिक रूप से सफल रहा"

मिशन के बाद एक्सप्लोरेशन कंपनी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी कि कैप्सूल का लॉन्च सफल रहा था। उन्होंने कहा कि लॉन्च के बाद कैप्सूल अपने ऑर्बिट में स्थिर हो गया था और ब्लैकआउट के बाद उससे दोबारा संपर्क भी हुआ था। लेकिन जब वह पृथ्वी की ओर लौटने लगा तो कुछ तकनीकी खामी के कारण हमारा उससे संपर्क टूट गया। कंपनी ने इस मिशन को "आंशिक सफलता" करार दिया है क्योंकि लॉन्चिंग और ऑर्बिट में स्थिरता जैसी तकनीकी प्रक्रियाएं सफल रहीं।

परिजनों से मांगी माफी

एक्सप्लोरेशन कंपनी ने उन सभी ग्राहकों से माफी मांगी है जिनके परिजनों की राख इस मिशन का हिस्सा थी। कंपनी ने अपने बयान में कहा: “हम उन सभी परिवारों से दिल से माफ़ी मांगते हैं जिन्होंने हमें अपने प्रियजनों की अंतिम यात्रा के लिए चुना। हमारी टीम ने इस मिशन को कम लागत और रिकॉर्ड समय में सफल बनाने के लिए बहुत मेहनत की। यह मिशन भले ही पूरी तरह सफल नहीं रहा, लेकिन इसने हमें आगे की उड़ानों के लिए प्रेरित किया है।"

अब क्या है अगला कदम?

कंपनी इस दुर्घटना की पूरी जांच कर रही है और भविष्य में इस तरह के मिशनों को और बेहतर बनाने की योजना बना रही है। उनका मानना है कि तकनीकी बाधाएं सीखने का जरिया हैं और वे फिर से अंतरिक्ष में अंतिम सफर के इस सपने को साकार करने की कोशिश करेंगे।

क्यों बढ़ रही है अंतरिक्ष में दफन की चाहत?

आज के दौर में लोग पारंपरिक दफन या अंतिम संस्कार की जगह नई और अनोखी विधियों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। अंतरिक्ष में दफन होना अब एक नई सोच बन रही है, खासकर उन लोगों के लिए जो विज्ञान, अंतरिक्ष या ब्रह्मांड से जुड़ाव महसूस करते हैं। यह न केवल भावनात्मक रूप से विशेष होता है, बल्कि तकनीक की दुनिया में भी एक नई दिशा देता है।

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