Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 02:36 AM
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश किया। इस बजट से लोगों ने बड़ी उम्मीदें लगा रखी थीं जिनमें किसानों की कर्ज माफी, होम लोन में टैक्स पर छूट, पैट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कमी, कम्पनियों पर टैक्स का बोझ...
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश किया। इस बजट से लोगों ने बड़ी उम्मीदें लगा रखी थीं जिनमें किसानों की कर्ज माफी, होम लोन में टैक्स पर छूट, पैट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कमी, कम्पनियों पर टैक्स का बोझ घटाने और आयकर छूट में वृद्धि आदि शामिल रहींं।
उन्होंने बजट भाषण की शुरूआत किसानों और गरीबों के लिए घोषणाओं से की जिनमें 2022 तक हर गरीब को घर, किसानों की आय दोगुनी करना, खरीफ का समर्थन मूल्य उत्पादन लागत से डेढ़ गुणा करना आदि मुख्य हैं:
2 हजार करोड़ रुपए की लागत से कृषि बाजार कायम करने, आलू-टमाटर व प्याज के लिए आप्रेशन ग्रीन शुरू करने, पशु पालकों के लिए भी किसान क्रैडिट कार्ड जारी करने, 42 मैगा फूड पार्क बनाने व किसानों को कर्ज देने के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान रखने का प्रस्ताव है। सौभाग्य योजना के अंतर्गत 4 करोड़ घरों को बिजली देने, उज्जवला योजना के अंतर्गत 8 करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनैक्शन, गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के लिए 14.34 लाख करोड़ रुपए देने के अलावा 2 करोड़ नए शौचालय भी बनाए जाएंगे। फसल के अवशेषों को जलाने की बजाय हटाने के लिए सबसिडी देने का प्रावधान रखा गया है।
स्वास्थ्य के लिए 1.5 लाख आरोग्य सैंटर स्थापित करने, हैल्थ वैलनैस सैंटर के लिए 1200 करोड़ रुपए जारी करने, 50 करोड़ लोगों को हैल्थ बीमा उपलब्ध करवाने का भी प्रस्ताव है। हर तीन संसदीय क्षेत्रों के बीच एक मैडीकल कालेज तथा देश भर में 24 नए सरकारी मैडीकल कालेजों एवं अस्पतालों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। टी.बी. मरीजों के लिए 600 करोड़ की योजना शुरू की जाएगी। नए कर्मचारियों के ई.पी.एफ. में सरकार 12 प्रतिशत देगी तथा 70 लाख नई नौकरियां पैदा करेगी। आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य स्कूल खोले जाएंगे। प्री-नर्सरी से 12वीं तक पढ़ाई की एक नीति होगी। व्यापार शुरू करने के लिए मुद्रा योजना में तीन लाख करोड़ रुपए का फंड कायम किया जाएगा। छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
सांसदों के भत्ते हर 5 साल में बढ़ेंगे, राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपए, उपराष्ट्रपति का 4 लाख और राज्यपाल का 3.5 लाख रुपए होगा। 100 करोड़ रुपए के टर्न ओवर वाली कृषि उत्पाद बनाने वाली कम्पनियों का 100 प्रतिशत टैक्स माफ किया जाएगा। 250 करोड़ रुपए तक टर्न ओवर वाली कम्पनियों को 30 प्रतिशत की बजाय 25 प्रतिशत कार्पोरेट टैक्स देना होगा। पहले यह छूट केवल 50 करोड़ रुपए वाली कम्पनियों को ही प्राप्त थी। आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, अलबत्ता 40,000 रुपए तक स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। वरिष्ठï नागरिकों को विभिन्न जमा योजनाओं पर मिलने वाले 50,000 रुपए तक के ब्याज पर टैक्स में छूट मिलेगी। पहले यह सीमा 10,000 रुपए थी।
म्यूचुअल फंड की कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा। शिक्षा और स्वास्थ्य पर सैस 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इस बजट में कस्टम ड्यूटी बढऩे से आयातित वस्तुएं टी.वी., लैपटॉप और मोबाइल व इलैक्ट्रॉनिक्स सामान महंगे हो जाएंगे। कच्चे काजू पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 2.5 प्रतिशत, अनब्रांडिड पैट्रोल पर भी एक्साइज ड्यूटी 4.48 रुपए से घटाकर 2 रुपए और अनब्रांडिड डीजल पर 6.33 रुपए से घटाकर 2 रुपए प्रति लीटर कर दी गई है परन्तु सरकार ने एक्साइज ड्यूटी के बराबर ही सैस लगा दिया जिससे पैट्रोल-डीजल के सस्ता होने की संभावना समाप्त हो गई है और अन्य अनेक वस्तुओं के मूल्य बढऩे की संभावनाएं भी पैदा हो गई हैं।
रेलवे के विस्तार पर इस वर्ष 1.48 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पूरी भारतीय रेल ब्रॉडगेज में बदलने, स्टेशनों में वाईफाई व सी.सी.टी.वी. की सुविधा देने, 600 स्टेशनों को आधुनिक बनाने और मानव रहित रेलवे फाटकों को डिजीटल फाटकों में बदलने का प्रस्ताव है। हवाई अड्डो की संख्या 5 गुणा बढ़ाई जाएगी। जहां सत्ता पक्ष ने बजट का स्वागत किया है वहीं विपक्षी दलों ने बजट की कड़ी आलोचना करते हुए इसे दिशाहीन और चुनावी सपने दिखाने तथा गुमराह करने वाला बजट करार दिया जिसमें जनता से खोखले वायदे ही किए गए हैं।
व्यापारी वर्ग का कहना है कि इस बजट में सरकार ने व्यापार एवं उद्योग जगत को कुछ नहीं दिया, न जी.एस.टी. में कमी के बारे में कोई घोषणा की गई, न इंकम टैक्स में छूट बढ़ाई गई और न कोई अन्य राहत उद्योग जगत को दी गई है। कुल मिलाकर इस बजट में किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए काफी वायदे किए गए हैं परंतु मध्यम और नौकरीपेशा वर्ग तथा उद्योग एवं व्यापार जगत को इस बजट से निराशा ही मिली है।—विजय कुमार