नोटबंदी का 1 साल: रियल एस्टेट की 60 प्रतिशत तक गिरी ग्रोथ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 10:57 AM

1 year of note closure 60 fall in real estate growth

नोटबंदी को एक साल पूरा होने वाला है। नोटबंदी की मार जिन सैक्टर पर सबसे ज्यादा देखने को मिली उनमें रियल एस्टेट भी शामिल है।  गत एक साल में 6 से 8 महीने इस सैक्टर के लिए सबसे बुरे रहे।  इस दौरान सैक्टर की ग्रोथ 60 प्रतिशत तक घटी। इसकी सबसे बड़ी वजह...

नई दिल्ली : नोटबंदी को एक साल पूरा होने वाला है। नोटबंदी की मार जिन सैक्टर पर सबसे ज्यादा देखने को मिली उनमें रियल एस्टेट भी शामिल है।  गत एक साल में 6 से 8 महीने इस सैक्टर के लिए सबसे बुरे रहे।  इस दौरान सैक्टर की ग्रोथ 60 प्रतिशत तक घटी। इसकी सबसे बड़ी वजह रही ट्रांजैक्शन का खत्म हो जाना। हालांकि नोटबंदी के बाद सैक्टर को कई फायदे भी हुए हैं जिसका असर लंबे समय में दिख सकता है। इससे सिस्टम में पारदॢशता भी आई।

रेरा एवं जी.एस.टी. भी रहे मुख्य कारण
नोटबंदी के बाद से अब तक रेरा एवं जी.एस.टी. भी रियल एस्टेट सैक्टर को प्रभावित करने में मुख्य कारण रहे। अब यह सैक्टर अर्थव्यवस्था एवं रोजगार में सुधार के बाद ही ऊपर की तरफ  गति पकड़ेगा। नोटबंदी से शुरूआती असर तो दिखा लेकिन अब यह सैक्टर अपनी सही दिशा में लौट आया है।

नोटबंदी के फायदे
ऐसा नहीं है कि नोटबंदी से सैक्टर को केवल नुक्सान ही झेलना पड़ा। नोटबंदी ने रियल एस्टेट सैक्टर के सिस्टम को बदलकर रख दिया। पारदॢशता की बात करें तो इस सैक्टर में 80 प्रतिशत तक पारदर्शिता बढ़ गई है। नोटबंदी से इस सैक्टर में मुख्यत: 3 फायदे हुए हैं जिन्हें हम एक बड़े बदलाव के तौर पर देख सकते हैं। ये 3 बदलाव हैं- सिस्टम में पारदर्शिता का बढऩा, कैश वाले लेन-देन का करीब-करीब खत्म होना और डिवैल्पर्स व कारोबारियों के काम करने के तरीके बदलना। निश्चित ही इन बदलावों से इस सैक्टर को एक पॉजीटिव संकेत देखने को मिल सकता है।

नोटबंदी से नहीं हुआ काले धन का सफाया
देश के 33 गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 55 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी से काले धन का सफाया नहीं हुआ और 48 प्रतिशत लोगों की राय है कि आतंकवादी हमलों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। गत वर्ष 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के एक साल बाद देश की अर्थव्यस्था पर पड़े प्रभावों का अध्ययन करने वाले इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट आज यहां जारी की गई जिसमें यह निष्कर्ष सामने आया है। सामाजिक संगठन अनहद के नेतृत्व में देश के 21 राज्यों में 3647 लोगों के सर्वेक्षण के दौरान नोटबंदी से जुड़े 96 प्रश्न पूछे गए थे।

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