Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 04:40 PM
संयुक्त अरब अमरीका की कंपनी एडनॉक के साथ जाकुम तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी खरीदने के लिए हुए समझौते से देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और सालाना 17.5 लाख तथा 40 साल में सात करोड़ टन कच्चा तेल सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी...
नई दिल्लीः संयुक्त अरब अमरीका की कंपनी एडनॉक के साथ जाकुम तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी खरीदने के लिए हुए समझौते से देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और सालाना 17.5 लाख तथा 40 साल में सात करोड़ टन कच्चा तेल सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त अरब अमरीका यात्रा के दौरान 10 फरवरी को एडनॉक के साथ दो प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। इनके बारे में जानकारी देते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि पहले समझौते के तहत अबुधाबी के निचले जाकुम तेल क्षेत्र में भारतीय कंसोर्टियम को 10 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल जाएगी।
इस कंसोर्टियम में ओएनजीसी विदेश, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम रिसोर्सेज लिमिटेड शामिल हैं। यह समझौता 09 मार्च से प्रभावी हो जाएगा। इंडियन स्ट्रेटिजिक पेट्रोलियम रिजर्वस लिमिटेड के साथ किए गए दूसरे समझौते के तहत एडनॉक 40 करोड़ डॉलर का निवेश कर मेंगलुरु स्थिति कच्चा तेल भंडार को भरेगा। प्रधान ने बताया कि 7.5 लाख टन भंडार में मई तक एडनॉक का तेल आना शुरू हो जाएगा। देश में कच्चा तेल के तीन रणनीतिक भंडार हैं जिनकी कुल क्षमता 10 दिन के लिए देश की कच्चा तेल जरूरतों को पूरा करने की है। प्रधान ने कहा कि जाकुम तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी खरीदने से देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी।
एडनॉक ने भारत को मार्च के लिए नौ लाख बैरल और अप्रैल के लिए 12 लाख बैरल कच्चा तेल तुरंत आपूर्ति करने का प्रस्ताव दिया है। इस तेल क्षेत्र में अभी रोजाना चार लाख बैरल उत्पादन होता है जिसके 2025 तक बढ़कर चार लाख 50 हजार बैरल पर पहुंचने की उम्मीद है। जब उत्पादन अपने चरम पर होगा भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत या सालाना 22.4 लाख टन की होगी। उसकी औसत हिस्सेदारी 17.5 लाख बैरल होगी। इस प्रकार 40 साल में सात करोड़ टन कच्चा तेल भारतीय कंसोर्टियम को मिलेगा।