Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 11:00 AM
सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एम.एस.एम.ई.) उद्यमों के वर्गीकरण को लेकर मानदंड में बदलाव को मंजूरी दे दी। अबतक संयंत्र और मशीनरी में निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों का वर्गीकरण होता था। इसे बदलकर अब कारोबार कर दिया गया है।
नई दिल्लीः सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एम.एस.एम.ई.) उद्यमों के वर्गीकरण को लेकर मानदंड में बदलाव को मंजूरी दे दी। अबतक संयंत्र और मशीनरी में निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों का वर्गीकरण होता था। इसे बदलकर अब कारोबार कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
नए वर्गीकरण के तहत अगर किसी इकाई का सालाना कारोबार 5 करोड़ रुपए या उससे कम है, वह सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में आएगा। वहीं जिन इकाइयों का कारोबार 5 करोड़ रुपए से लेकर 75 करोड़ रुपए है, उसे लघु तथा 75 करोड़ रुपए से 250 करोड़ रुपए तक के कारोबार वालों को मझोले उपक्रम माना जाएगा। सरकार के अनुसार इस कदम से कारोबार सुगमता बढ़ेगा तथा वर्गीकरण के नियम वृद्धि उन्मुख होंगे। साथ ही यह वर्गीकरण नियम जीएसटी से उभर रही नई कर व्यवस्था के अनुरूप है। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम कानून 2006 की धारा सात में संशोधन किया जाएगा। फिलहाल एमएसएमईडी कानून की धारा सात एमएसएमई को संयंत्र और मशीनरी में निवेश के आधार पर विनिर्माण इकाइयों तथा उपकरणों में निवेश के आधार पर सेवा उपक्रमों को वर्गीकरण करती है।