कॉटन कारोबार में जमाखोरी का खेल, ऊंचे दाम पर खरीदारी कर रहे हैं स्पिनर्स

Edited By ,Updated: 29 Mar, 2017 02:31 PM

game of hoarding in cotton business

इस साल कॉटन का बंपर उत्पादन हुआ है। फिर भी इंपोर्ट में 2 गुना से ज्यादा...

नई दिल्लीः इस साल कॉटन का बंपर उत्पादन हुआ है। फिर भी इंपोर्ट में 2 गुना से ज्यादा बढ़ौतरी का अनुमान है और स्पिनर्स ऊंचे दाम पर कॉटन खरीद रहे हैं। वजह ये है कि कॉटन की जमकर जमाखोरी हो रही है। देश के इंडस्ट्रियल उत्पादन, रोजगार और व्यापार को बड़ा आधार देने वाले कॉटन के बाजार में इस साल कुछ ज्यादा ही बाजीगरी हो रही है।

कॉटन की कीमतें आसमान पर
इस साल 340 लाख गांठ कॉटन के बंपर उत्पादन का अनुमान है। लेकिन इसकी कीमतें 44,000 रुपए प्रति कैंडी तक चली गई है। एक कैंडी में 356 किलो कॉटन होता है। कीमतें आसमान पर जाने की वजह से धागा बनाने वाली मिलों को कॉटन का इंपोर्ट करना पड़ रहा। ऐसे में इस साल करीब 30 लाख गांठ कॉटन इंपोर्ट का अनुमान है जो पिछले साल का दोगुना है। इसमें से करीब 14 लाख गांठ कॉटन का इंपोर्ट हो चुका है और करीब 11 लाख गांठ का ऑर्डर दिए गए हैं। दलील ये दी जा रही है कि किसान आवक रोक रहे हैं इसलिए घरेलू बाजार में कॉटन का दाम लगातार बढ़ रहा है।

ऑस्ट्रेलिया में कॉटन की पैदावार दोगुनी
ऑस्ट्रेलिया में इस साल कॉटन की दोगुना पैदावार हुई है। वहीं चीन में इस साल कॉटन की डिमांड कमजोर है। ऐसे में ग्लोबल मार्कीट में कॉटन का दाम काफी नीचे है। साथ ही रुपए में मजबूती से भी मिलों को विदेशी कॉटन सस्ता बैठ रही है। हालांकि जोरदार इंपोर्ट के बाद माना ये जा रहा है कि घरेलू बाजार में अब कॉटन की कीमतें ज्यादा नहीं बढ़ेंगी।

15% बढ़ चुकी हैं कीमतें
बाजार के जानकारों के मुताबिक कॉटन की कीमतें इस लेवल से ज्यादा बढ़ने की सम्भावना नहीं है क्योंकि एक तो नवम्बर से अब तक कॉटन की कीमतें 15 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं ऊपर से इम्पोर्ट दोगुनी हो रही है और 340 लाख गांठ का बम्पर उत्पादन होने के चलते कीमतें बढ़ना मुश्किल है।

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