सरकार तक पहुंची GST की आंच, 4.5% गिरा कार्पोरेट टैक्स कलैक्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 01:08 PM

gst flows to government 4 5 percent in corporate tax calculation

पिछले महीने सरकार द्वारा लागू किए गए जी.एस.टी. की आंच सरकार के राजस्व पर पड़नी शुरू हो गई है।

नई दिल्ली: पिछले महीने सरकार द्वारा लागू किए गए जी.एस.टी. की आंच सरकार के राजस्व पर पड़नी शुरू हो गई है। कार्पोरेट टैक्स में पिछले 4 महीनों के दौरान साढ़े 4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। पिछले साल अप्रैल से जुलाई तक के 4 महीनों में सरकार के कार्पोरेट टैक्स कलैक्शन की मद में 11.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ था जबकि इस साल कार्पोरेट टैक्स में ग्रोथ की रफ्तार 7.2 प्रतिशत रह गई है।
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डायरैक्ट टैक्स में इजाफा
हालांकि इस वित्त वर्ष के पहले 4 महीनों में सरकार को डायरैक्ट टैक्स के जरिए पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 19.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है लेकिन कम्पनियों द्वारा सरकार को दिए गए टैक्स में कार्पोरेट सैक्टर का जी.एस.टी. के साथ हो रहा संघर्ष साफ झलकता है। इस वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से जून तक सरकार को डायरैक्ट टैक्स के रूप में 1.9 लाख करोड़ रुपए की आमदन हुई है और रिफंड की रकम वापस करके यह आमदन पिछले साल के मुकाबले 19.1 प्रतिशत ज्यादा है जबकि रिफंड के बिना इसमें 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

ये हैं गिरावट के कारण
जानकारों का मानना है कि सरकार के राजस्व में आई इस कमी का बड़ा कारण कार्पोरेट सैक्टर के पास पड़े स्टॉक को औने-पौने दाम पर बेचने के कारण आया है। जी.एस.टी. के चलते 1 जुलाई से पहले देश की अधिकतर बड़ी कम्पनियों ने पुराना स्टॉक क्लीयर करने के चक्कर में बम्पर सेल लगा दी थी जिसका असर सरकार के राजस्व पर नजर आ रहा है। इक्रा की प्रिंसीपल इकोनॉमिस्ट अदिति नैयर का मानना है कि कार्पोरेट सैक्टर द्वारा दिए गए डिस्काऊंट और अपने स्टॉक को कम करने के लिए किए गए प्रयास के अलावा उत्पादन में की गई कमी के कारण भी सरकार के राजस्व पर असर पड़ा है।

सर्विस सैक्टर का PMI न्यूनतम स्तर पर 
नॉन-ऑयल एक्सपोर्ट और कोर सैक्टर की आऊटपुट के अलावा ऑटोमोबाइल सैक्टर की प्रोडक्शन और धीमी औद्योगिक गति के कारण भी सरकार के राजस्व में कमी आई है। जी.एस.टी. के चलते पैदा हुई स्थितियों के कारण औद्योगिक उत्पादन में 1 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। इसका असर मैन्युफैक्चरिंग के अलावा जुलाई महीने में सर्विस सैक्टर पर भी पड़ा। सर्विस सैक्टर का पी.एम.आई. यानी परचेजिंग मैनेजर इंडैक्स जुलाई में 45.9 अंक के साथ 4 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया। जून में यह इंडैक्स 53.1 प्रतिशत था जबकि मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर का पी.एम.आई. 47.9 अंक के साथ 8 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया। इससे पहले यह 50.9 अंक पर था।
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कच्चे तेल और रुपए ने बढ़ाई इंडस्ट्री की लागत
इसके अलावा कुछ अन्य कारणों के कारण भी कार्पोरेट सैक्टर के मुनाफे पर असर पड़ा है। इनमें से एक कारण तेल की कीमतें बढऩा भी है। कच्चे तेल के दाम में 8 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई जिससे इंडस्ट्री की लागत बढ़ी और उससे मुनाफे पर असर पड़ा जिसका असर सरकार के राजस्व पर नजर आता है। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले मजबूत हुए रुपए से भी कम्पनियों के मुनाफे में कमी आई है। केयररेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का मानना है कि इस वित्त वर्ष की तीसरी व चौथी तिमाही में स्थिति में सुधार हो सकता है। सरकार द्वारा रिफंड दिए जाने के बाद कार्पोरेट टैक्स कलैक्शन की नैट ग्रोथ 23.2 प्रतिशत रही है जबकि व्यक्तिगत इन्कम टैक्स कलैक्शन 15.7 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ा है। यह ग्रोथ पिछले साल अप्रैल-जुलाई में 45.56 प्रतिशत थी। पिछले साल एडवांस पेमैंट के नियमों में की गई तबदीली के चलते पर्सनल इन्कम टैक्स कलैक्शन में वृद्धि देखने को मिली थी।

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