Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 11:19 AM
टायर विनिर्माता भारत में कच्चे माल यानी प्राकृतिक रबर की उपलब्धता को लेकर चिंतित हैं। रबर बोर्ड ने वर्ष 2017-18 के दौरान 8,00,000 टन प्राकृतिक रबर के उत्पादन का अनुमान लगाया था, जो पिछले वर्ष के 6.9 लाख टन उत्पादन से 16 प्रतिशत अधिक है। हालांकि,...
नई दिल्लीः टायर विनिर्माता भारत में कच्चे माल यानी प्राकृतिक रबर की उपलब्धता को लेकर चिंतित हैं। रबर बोर्ड ने वर्ष 2017-18 के दौरान 8,00,000 टन प्राकृतिक रबर के उत्पादन का अनुमान लगाया था, जो पिछले वर्ष के 6.9 लाख टन उत्पादन से 16 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, 2017-18 की पहली छमाही में उत्पादन केवल 3.2 लाख टन के स्तर पर रहा है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक है। 8,00,000 टन का लक्ष्य हासिल करने के लिए पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन को दूसरी छमाही में 24 प्रतिशत की दर से बढ़ाने की आवश्यकता है लेकिन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) के मुताबिक इसकी संभावना काफी कम नजर आती है। टायर उद्योग देश में उत्पादित प्राकृतिक रबर का 65-70 प्रतिशत उपभोग करता है।
प्राकृतिक रबर उत्पादन पर रबर बोर्ड के हालिया आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही टायर उद्योग के लिए चिंता का कारण बनकर आई है। उद्योग रबर बोर्ड द्वारा अनुमानित प्राकृतिक रबर उत्पादन में सुधार की उम्मीद कर रहा था। एटमा के अध्यक्ष सतीश शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक उत्पादन के मोर्चे पर गंभीर स्थिति जारी है। देश में इसका उत्पादन घरेलू मांग से काफी कम बना हुआ है। घरेलू प्राकृतिक रबर उत्पादन और खपत के बीच का अंतर पूरा होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। पिछले साल 40 फीसदी घरेलू कमी थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भी यह कमी इतनी ही रही है।
देश में चल रहे शीर्ष सीजन में भी घरेलू टायर उद्योग प्राकृतिक रबर की गंभीर कमी का सामना कर रहा है। इस तथ्य के बावजूद उपलब्धता में कमी है कि घरेलू प्राकृतिक रबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर की तुलना में अधिक कीमत मिल रही है। शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक रबर की पर्याप्त उपलब्धता न होने से टायर विनिर्माण में बाधा आने का जोखिम है। टायर विनिर्माताओं का कहना है कि घरेलू आपूर्ति की इस कमी को पूरा करने के लिए प्राकृतिक रबर आयात करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है, जबकि आयात शुल्क में बढ़ोतरी से उद्योग को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। प्राकृतिक रबर के आयात पर 25 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है, जो काफी ज्यादा है और इससे उद्योग की लागत बढ़ जाती है।