Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Aug, 2017 11:52 AM
देश में वास्तविक ब्याज दरें अधिक हैं और इसके साथ ही मैक्रो-इकनॉमी मजबूत हो रही है।
नई दिल्लीः देश में वास्तविक ब्याज दरें अधिक हैं और इसके साथ ही मैक्रो-इकनॉमी मजबूत हो रही है। इसलिए भारत की कंपनियों को मजबूत रुपए के लिए तैयार रहना चाहिए। विदेशी निवेश बढ़ रहा है, जबकि डॉलर में कमजोरी आ रही है। ऐसे में साल के अंत तक भारतीय करेंसी 5 फीसदी तक मजबूत हो सकती है। इस वित्त वर्ष के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 62.50 या इससे भी ज्यादा मजबूत हो सकता है। एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि 25 पर्सेंट लोगों का मानना है कि रुपया 62 या इससे भी अधिक मजबूत हो सकता है।
बढ़ रहा है विदेशी निवेश
पिछले शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 63.58 पर बंद हुआ था। इससे एक दिन पहले रिजर्व बैंक ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश की थी, जिसमें उसने 'न्यूट्रल' पॉलिसी बनाए रखी थी। इस बारे में एस.बी.आई. के चीफ इकनॉमिस्ट सौम्य कांति घोष ने बताया, 'भारत में रियल इंटरेस्ट रेट ज्यादा हैं। इसलिए विदेशी निवेशक यहां काफी पैसा लगा रहे हैं। इससे डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हो रहा है।' उन्होंने बताया कि इसके साथ आयातक बिना हेजिंग के ऑर्डर्स ले रहे हैं। इससे यह अटकल तेज हुई है कि आने वाले वक्त में रुपए में और मजबूती आ सकती है।
डॉलर में गिरावट
डॉलर इंडेक्स में भी गिरावट हो रही है। मार्कीट को यह भी लग रहा है कि अमरीका में फिलहाल ब्याज दरों में बढ़ौतरी नहीं होगी क्योंकि फेडरल रिजर्व ने कहा है कि वह रेट में इस तरह से बढ़ौतरी करेगा ताकि दुनिया के दूसरे देशों पर उसका बुरा असर ना पड़े।' 2016-17 में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट 60.1 अरब डॉलर के साथ ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया था। इस साल फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स 1.75 लाख करोड़ रुपए लगा चुके हैं, जो 2014 के बाद उनकी तरफ से सबसे अधिक निवेश है।