नकली दवाओं में सबसे ज्यादा बेची जाती है एंटी बायोटिक

Edited By ,Updated: 08 Feb, 2017 02:32 PM

spurious drugs are sold most antibiotics

देश में बिकने वाली दवाओं में 0.1 प्रतिशत से 0.3 प्रतिशत नकली हैं जबकि चार से पांच..

नई दिल्लीः देश में बिकने वाली दवाओं में 0.1 प्रतिशत से 0.3 प्रतिशत नकली हैं जबकि चार से पांच प्रतिशत दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। नकली दवाओं में बाजार में सबसे ज्यादा एंटी बायोटिक बेची जा रही है क्योंकि इन पर मोटा मुनाफा मिलता है। सरकार के एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में ये बातें सामने आई हैं जिसके आंकड़े जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे। राष्ट्रीय राजधानी में आज से शुरू हुए इंटरनेशनल ऑथेंटिकेशन कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के उपनिदेशक रंगा चंद्रशेखर ने बताया कि नकली दवाओं के विश्वसनीय आंकड़ों के लिए अब तक कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ था।

दवा बाजार में 0.1 से 0.3 प्रतिशत नकली दवाएं
सरकार ने देश भर के शहरी और ग्रामीण इलाकों में दवा दुकानों से 47 हजार नमूने एकत्र किए जिनकी जांच में पाया गया है कि दवा बाजार में 0.1 से 0.3 प्रतिशत नकली हैं। इस सर्वेक्षण में एक स्वयं सेवी संस्था की भी मदद ली गई है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि नकली दवाओं में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक बिकती हैं जबकि उसके बाद एंटी बैक्टीरियल दवाओं का स्थान है। देश के कुल दवा बाजार का आकार तकरीबन एक लाख 10 हजार करोड़ रुपए का है। उन्होंने कहा कि अधिकतर नकल उन दवाओं की बनाई जाती है जिनमें मुनाफा काफी ज्यादा होता है यानि जिनके उत्पादन और विक्रय मूल्य का अंतर ज्यादा होता है।

दवाई भंडारण में कमी
श्री चंद्रशेखर ने कहा कि इसके अलावा चार से पांच प्रतिशत दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतर पाईं। ये दवाएं वास्तविक विनिर्माताओं द्वारा बनाई गई थीं। हालांकि, इनके मानक से कमतर होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण उनके भंडारण में कमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि देश में मौसमी विविधता के कारण आपूर्ति श्रंखला में दवाओं को नमी आदि से बचा पाना मुश्किल होता है जिससे उनकी रासायनिक संरचना प्रभावित होती है।

निर्यात होने वाली दवाओं के लिए बनाया दवा ऐप
उन्होंने कहा कि निर्यात से पहले सभी दवाओं के नमूनों की जांच की जाती है और उनके मानकों से कमतर पाए जाने की स्थिति में निर्यात की जाने वाली पूरी खेप को वापस भेजने का प्रावधान है। निर्यात की जाने वाली दवाओं के लिए ड्रग ऑथेंटिकेशन एंड वेरिफिकेशन एप्लिकेशन (दवा ऐप) भी बनाया गया है जिससे किसी भी चरण में दवा की प्रामाणिकता की जांच की जा सकती है। सरकार घरेलू बाजार के लिए भी दवा ऐप लागू करने पर विचार कर रही है, लेकिन इसके लिए उत्पादन संयंत्रों में जरूरी बदलाव काफी महंगे होने के कारण कंपनियां अभी इसके लिए तैयार नही हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवद्र्धन ने किया। 
 

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