Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Oct, 2017 10:14 AM
दीवाली की रात और उसके तीन दिन बाद तक चंडीगढ़ के 11 लाख से अधिक लोग जहरीली हवा में सांस लेंगे। यह जानकारी खुद सरकारी आंकड़े दे रहे हैं। पिछले दस सालों के दौरान चंडीगढ़ में रिस्पायरेबल सस्पैंडिड पर्टिकुलेट्स मैटर्स (आर.एस.पी.एम.) की मात्रा तेजी से...
चंडीगढ़(विजय) : दीवाली की रात और उसके तीन दिन बाद तक चंडीगढ़ के 11 लाख से अधिक लोग जहरीली हवा में सांस लेंगे। यह जानकारी खुद सरकारी आंकड़े दे रहे हैं। पिछले दस सालों के दौरान चंडीगढ़ में रिस्पायरेबल सस्पैंडिड पर्टिकुलेट्स मैटर्स (आर.एस.पी.एम.) की मात्रा तेजी से बढ़ी है। हवा में आर.एस.पी.एम. 2.5 और 10 माइक्रॉन को सेहत के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है, लेकिन चंडीगढ़ में जो हवाएं इस समय चल रही हैं, उसमें धीरे-धीरे आर.एस.पी.एम. की मात्रा तेजी से बढ़ी है।
खासकर अब जबकि दीवाली का त्यौहार आने वाला है तो उस रात हवा में आर.एस.पी.एम. की मात्रा सबसे अधिक हो जाएगी। अधिकारियों की मानें तो दीवाली से एक दिन पहले यानि 18 अक्तूबर और उसके तीन दिन बाद यानि 22 अक्तूबर तक चंडीगढ़ की वायु सबसे अधिक प्रदूषित होगी, क्योंकि आतिशबाजी के नाम पर कई ऐसे पटाखों का इस्तेमाल किया जाएगा जिन्हें चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) की ओर से प्रतिबंधित पटाखों की श्रेणी में डाला गया है। यही वजह है कि 2006 से लेकर 2016 तक हर साल दीवाली की शहर की हवा में आर.एस.पी.एम. की मात्रा परमिसिबल लिमिट से कईं अधिक हो जाती है।
मिनिस्ट्री ने भेजी प्रशासन को गाइडलाइंस :
शहर में आतिशबाजी परमिसेबल लिमिट में ही हो इसके लिए पर्यावरण वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से चंडीगढ़ प्रशासन के पास गाइडलाइंस भेजी गई हैं। जिसमें साफतौर से बताया गया है कि दीवाली के मौके पर ऐसे पटाखों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनकी परमीशन नहीं है।
मिनिस्ट्री की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार किसी भी दुकान में पटाखे 125 डी.बी. से अधिक ध्वनी वाले न हों। क्योंकि ऐसे ही पटाखों से सबसे अधिक वायु प्रदूषण का खतरा बना रहता है। इसके लिए पटाखों की पूरी जांच की जानी चाहिए। मौके पर ही पटाखे फोड़कर चेक किया जाना चाहिए कि उनकी ध्वनी कितनी तेज है।
आर.एस.पी.एम.?
आर.एस.पी.एम. वे हानिकारक कण होते हैं जिनसे कई प्रकार की गंभीर बीमारी हो सकती है। ये कण सांस के जरिए फेफड़ों में प्रवेश करते हैं। जिससे कई प्रकार के इंफैक्शन हो सकते हैं। पटाखों की वजह से हवा में इन कणों की संख्या कई गुणा बढ़ जाती है। जिससे कैंसर तक की बीमारी हो सकती है।
पी.एम.2.5 और पी.एम.10 से खतरा :
-सांस लेने में परेशानी, खांसी।
-फेफड़ों के काम करने की क्षमता कम होना।
-कार्डियो वस्कुलर सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव।
-हार्ट और लंग की बिमारी की वजह से समय से पहले ही मृत्यु हो जाना।
पिछले 10 साल में आर.एस.पी.एम. लैवल :
वर्ष सैक्टर-17 इंडस्ट्रीयल एरि. पैक इमटैक-39 कैंबवाला
2007 88 132 93 99 100
2008 81 121 90 95 91
2009 77 93 77 80 78
2010 86 122 77 95 83
2011 87 137 91 90 103
2012 100 131 97 102 119
2013 94 125 88 95 101
2014 79 114 80 89 91
2015 81 96 77 88 85
2916 91 131 92 105 101
परमिसीबल 60 120 60 60 60