नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, संतान व मोक्ष की होगी प्राप्ति

Edited By ,Updated: 31 Mar, 2017 03:30 PM

do the fifth day of navratri worship of maa skandamata

नवरात्रि में मां दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण देवी

नवरात्रि में मां दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण देवी को स्कंदमाता कहा जाता है। सच्चे मन से मां की पूजा करने से मां अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें मोेक्ष प्रदान करती हैं। माता के पूजन से व्यक्ति को संतान प्राप्त होती है। मां स्कंदमाता भगवान स्कंद को गोद में लिए हुए हैं। मां का ये स्वरूप दर्शाता है कि वात्सल्य की प्रतिमूर्ति मां स्कंदमाता अपने भक्तों को अपने बच्चे के समान समझती है। मां स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान स्कंद की पूजा भी स्वत: हो जाती है। 

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। माता दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं। कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कन्दमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। 

माता को कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है। देवी स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं तथा इनकी मनोहर छवि पूरे ब्रह्मांड में प्रकाशमान होती है। सच्चे मन से मां की पूजा करने से व्यक्ति को दुःखों से मुक्ति मिलकर मोक्ष अौर सुख-शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप करने से भक्त पर मां का कृपा सदैव बनी रहती है। 

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना करता है मां उसकी गोद हमेशा भरी रखती हैं। नवरात्र के पांचवे दिन लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह् सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरने से भक्त को संतान का प्राप्ति होती है। 
 

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