कल से आरंभ होगा नव विक्रमी सम्वत, सारा साल विघ्न-बाधाओं को दूर रखेगा ये पूजन

Edited By ,Updated: 27 Mar, 2017 08:36 AM

do this pujan on hindu new year

हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही विक्रमी सम्वत शुरू होता है तथा इस बार नए विक्रमी सम्वत 2074 का शुभारम्भ चैत्र मास की तिथि 15 अर्थात 28 मार्च मंगलवार को होगा। विक्रमी सम्वत 2073 के चैत्र मास की

हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही विक्रमी सम्वत शुरू होता है तथा इस बार नए विक्रमी सम्वत 2074 का शुभारम्भ चैत्र मास की तिथि 15 अर्थात 28 मार्च मंगलवार को होगा। विक्रमी सम्वत 2073 के चैत्र मास की अमावस की समाप्ति प्रात: 8 बजकर 27 मिनट पर होगी तथा उसी समय से नया सम्वत उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र एवं ब्रह्म योग कालीन मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। नए सम्वत का नाम ‘साधारण’ है। भारतीय धर्मानुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि का ऐतिहासिक महत्व है और यह अत्यंत पवित्र भी है। शास्त्रानुसार इसी तिथि से ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का कार्य शुरू किया था और युगों में प्रथम सत्युग का प्रारम्भ भी इसी तिथि को माना जाता है। 


सम्राट चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य ने शकों पर अपनी विजय को चिरस्थायी बनाते हुए विक्रमी सम्वत का प्रारम्भ किया था तथा इसी दिन से वासंतिक नवरात्र भी आरम्भ होते हैं। मंगलवार को शुरू होने के कारण इस नए सम्वत का राजा ‘मंगल’ और मंत्री ‘गुरु’ होंगे, जिस कारण यह वर्ष सभी को न्याय दिलाने वाला और शुभफलदायक रहेगा। 


नवसम्वत पूजन 
प्रात: काल उठकर अपने स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त  होकर श्वेत वस्त्र धारण करें। एक नवनिर्मित वर्गाकार चौंकी लेकर उस पर रेत की वेदी बनाएं जिस पर हल्दी अथवा लाल चंदन से रंगे चावलों के साथ अष्टदल कमल बनाएं। उस पर श्री ब्रह्मा जी की चांदी अथवा तांबे आदि धातु से बनी मूर्ति स्थापित करें। श्री गणेश लक्ष्मी जी का पूजन करके ‘ओम ब्रह्मने नम:’ आदि मंत्रों का उच्चारण कर श्री ब्रह्मा जी का विधिवत पूजन करते हुए इस मंत्र से प्रार्थना करें ‘भगवन त्वप्रसादेन वर्ष क्षेममिहस्तु में, संवत, सरोपर्गा में विलयं यन्तवशेषत:’। 


बाद में सभी देवी-देवताओं का पूजन करके सूर्य को जल चढ़ाएं और वर्ष के मंगलमय होने और सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए प्रभु से प्रार्थना करें ताकि घर में सुख-शांति एवं खुशहाली बनी रहे। इस दिन अपनी सामर्थ्यानुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा उन्हें अन्न, वस्त्र, मिठाई आदि वस्तुएं भेंट करके साथ में दक्षिणा अवश्य दें। नवरात्रे भी इसी दिन से शुरू होते हैं तथा इस दिन से नवमी तक घर में अखंड ज्योति जलाएं और घट की स्थापना करते हुए मां दुर्गा के व्रत भी करें। 


वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com 

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