इन ग्रहों के प्रभाव के चलते पति-पत्नी के रिश्ते में आती है दरार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 04:51 PM

due to the influence of planets relationship of husband and wife will be bad

आजकल रिश्तों में छोटी-मोटी अनबनों के चलते लोग एक-दूसरे से अलग होने का निर्णय कर लेते हैं। फिर चाहे यह रिश्ता पति-पत्नी के बीच का हो या कोई अन्य। खासतौर पर पति-पत्नी के रिशते में प्यार यकीन आदि बचा भी नहीं जिस कारण लोग अलग हो जाते हैं।

आजकल रिश्तों में छोटी-मोटी अनबनों के चलते लोग एक-दूसरे से अलग होने का निर्णय कर लेते हैं। फिर चाहे यह रिश्ता पति-पत्नी के बीच का हो या कोई अन्य। लेकिन खासतौर पर पति-पत्नी के रिशते में ही प्यार यकीन आदि बचा भी नहीं जिस कारण लोग अलग हो जाते हैं। जिसमें हम आमभाषा में तलाक कहते हैं। ये स्थिति तब पैदा होती है जब पति-पत्नी के बीच अापसी मतभेद या असंतोष होने लगता है। लेकिन ज्योतिष में इस बारे में वर्णित किया गया है कि ये सब स्थितियां पति-पत्नी की कुंडली में ग्रहों के प्रभाव से पनपती हैं। 


फलित ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में पति या पत्नी के परित्याग के योगों में से प्रमुख योग निम्रलिखित हैं-


जिस स्त्री की जन्म कुंडली में लग्न में मंगल या शनि की राशि में शुक्र हो तथा सप्तम स्थान पर पाप प्रभाव हो तो एेसी स्त्री अपने पति को छोड़कर किसी अन्य के साथ विवाह कर लेती है।


जिसकी कुंडली में सप्तम स्थान में शुभ एवं पाप दोनों प्रकार के ग्रह हों तथा सप्तमेश या शुक्र निर्बल हो तो स्त्री एक पति को छोड़कर दूसरे के साथ विवाह कर लेती है।


यदि चंद्रमा एवं शुक्र पाप ग्रहों के साथ सप्तम स्थान में हों तो पति-पत्नी गुप्त रूप से वैवाहिक संबंध तोड़ते हैं।


सप्तम स्थान में सूर्य हो तथा सप्तमेश निर्बल हो तो उस स्त्री को उसका पति छोड़ देता है।


निर्बल पाप ग्रह सप्तम में बैठे हों तो इस योग में उत्पन्न स्त्री को उसका पति छोड़ देता है।

 

लग्न में राहु एवं शनि हों तो व्यक्ति लोकापवाद से अपनी पत्नी का परित्याग कर देता हैं।


सप्तम स्थान में स्थित सूर्य पर उसके शत्रु ग्रह की दृष्टि हो तो इस योग में उत्पन्न स्त्री को उसका पति छोड़ देता है।


इस प्रकार हम देखते हैं कि तलाक के योगों में सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव होना नितांत आवश्यक होता है। कभी-कभी तलाक पति-पत्नी आपसी इच्छा से बगैर किसी प्रपंच के भी हो जाती है। हिंदुओं को छोड़कर अन्य धर्मावलंबियों में तलाक लेना या देना उतना कठिन नहीं होता। विकसित देशों में आज तलाक एक सामान्य या आम बात बन गई है। इन सब स्थितियों में सप्तम स्थान पर मात्र पाप ग्रहों का प्रभाव होने पर भी तलाक होने की भविष्यवाणी की जा सकती है।


किंतु हिंदूओं में अभी तलाक लेना या देना उतना आसान नहीं है जितना अन्य लोगों में है, अत: हिंदू दम्पति की कुंडली में तलाक का विचार करते समय सप्तम भाव एवं सप्तमेश पर व्ययेश एवं पाप ग्रहों के प्रभाव को देख लेना चाहिए। हमारे अनुभव में कुछ इस प्रकार के योग आए हैं जिनमें प्राय: तलाक हो जाता है। ये योग इस प्रकार हैं- 


सप्तमेश एवं व्ययेश एक-दूसरे के स्थान में हों तथा सप्तम भाव में राहू मंगल या शनि हों तो दम्पति तलाक ले लेते हैं।


सप्तमेश व्यय स्थान में हो, सप्तम भाव में पाप ग्रह हो तथा इन पर षष्ठेश की दृष्टि हो तो दैनिक कलह के कारण पति-पत्नी में तलाक हो जाता है।

 

सप्तमेश एवं व्ययेश दोनों त्रिक स्थानों में हों तथा सप्तम में पाप ग्रह हो तो पति-पत्नी तलाक ले लेते हैं।  

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