Gandhi Jayanti: सत्य के साथ अहिंसा का प्रयोग करने वाले पहले व्यक्ति को शत्-शत् प्रणाम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Oct, 2020 06:12 AM

gandhi jayanti first person who used non violence with truth

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक व आध्यत्मिक नेता के रूप में ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से विख्यात महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था।

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ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक व आध्यत्मिक नेता के रूप में ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से विख्यात महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था। सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर चलते हुए भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता को नागरिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने वाले इस महात्मा का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

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दक्षिण अफ्रीका से वकालत की शिक्षा प्राप्त करके 1915 में जब वह भारत वापस आए तो यहां के किसानों और मजदूरों को अत्यधिक भूमि कर व भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। इसके अतिरिक्त देश को गरीबी से राहत दिलाने, धार्मिक व जातीय एकता का निर्माण करने, आत्मनिर्भरता के लिए व अस्पृश्यता के विरोध में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया व अपना पूरा जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए खुद की गलतियों को सुधारने का भी प्रयत्न किया, तभी तो गांधी जी ने अपनी आत्मकथा को ‘सत्य के प्रयोग’ का नाम दिया।

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उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए अनेक आंदोलन चलाए और कई बार जेल भी गए। उन्हें पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलनों में मिली। जमींदारों के अत्याचारों से गांवों के लोग अत्यधिक गरीबी से घिर गए थे। अस्पृश्यता व पर्दा-प्रथा के बीच विनाशकारी अकाल से दिन-प्रतिदिन हालात नरक से भी बदतर हो रहे थे। ऐसे समय में गांधी जी ने गुजरात के खेड़ा में एक आश्रम बनाया और वहां कई स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं को संगठित किया। उन्होंने स्वयं अपने गांव की सफाई करके लोगों में एक नया विश्वास पैदा किया व सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए भी प्रेरित किया। 

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गांधी जी ने एक सफल लेखक के रूप में अनेक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया, जिनमें ‘हरिजन’, ‘इंडियन ओपीनियन’ व ‘यंग-इंडिया’ प्रमुख हैं। उन्होंने ‘नवजीवन’ नामक एक मासिक पत्रिका भी निकाली। ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’, ‘इंडियन-होमरूल’ आदि के साथ अन्य कई पुस्तकें भी उन्होंने लिखीं। खुद के काते हुए चरखा-सूत से बने धोती नामक एक ही वस्त्र को पूरे शरीर पर पहनने वाले बापू ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करते हुए लोगों को ‘स्वदेशी’ अपनाने का संदेश दिया। सत्य के साथ अहिंसा का प्रयोग (राजनीतिक क्षेत्र में) करने वाले पहले व्यक्ति को शत्-शत् प्रणाम। 

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