अखबार के आइडिया ने बदल दी जिंदगी, 26 लाख का टर्नओवर कमा रहा ये किसान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Aug, 2017 04:35 PM

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कामयाबी उसी इंसान के कदम चूमती है जो अपनी पूरी लगन ...

नई दिल्ली : कामयाबी उसी इंसान के कदम चूमती है जो अपनी पूरी लगन के साथ कड़ी मेहनत करता है और उसका फल पाने के लिए संयम बनाए रखता है। क्या कभी आपने सोचा है कि एक ऑटो ड्राइवर ज़िन्दगी के किस मुकाम पर पहुंच सकता है। उसकी ज़िन्दगी उसी रिक्शे के इर्द-गिर्द घूमती रहती है और ज़िन्दगी के आखिर तक उसी रिक्शे से बंधकर रह जाती है। लेकिन क्या कोई रिक्शेवाला लखपति बन सकता है क्या वो खुद की कंपनी खोल सकता है शायद नहीं लेकिन ऐसा हुआ है।सुनने में ये किसी फिल्मी कहानी के जैसा लगता है लेकिन ये किसी इंसान की रीयल लाइफ की कहानी है। 

राजस्थान के 57 वर्षीय अमर सिंह पेशे से एक ऑटो ड्राइवर है लेकिन आज उनकी गिनती करोड़पति किसानों में होती है। अमर सिंह उन सभी किसानों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है जो खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं।

एेसे बने आटो ड्राइवर से करोड़पति किसान 
अमर सिंह के पिता वृंदावन के पास 50 एकड़ जमीन थी लेकिन उनकी मौत के बाद वो भी बिक गई। पिता की मौत के बाद अमर सिंह ने अपनी 4 बहन और 2 भाइयों के पालन पोषण के लिए खेती करना शुरू किया। खेती से उन्हे कुछ खास फायदा नहीं हुआ तो सन् 1993 में अमर सिंह ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया। वे राजस्थान के समन से कुम्हेर के बीच ऑटो चलाया करते थे। एक इंटरव्यू में अमर सिंह ने बताया कि ऑटो चलाने से उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती थी। कुछ ही वक्त में अमर सिंह ने एक पुरानी जीप भी खरीद ली। जिसे कुछ वक्त बाद बहन की शादी के लिए बेचना पड़ा।

न्यूज पेपर के एक टुकड़े से शुरू हुआ सफलता का सफर 
जीप बेचने से पहले अमर सिंह को उसमें न्यूज पेपर का एक टुकड़ा मिला था। जिसमें आंवले के फायदे के बारे में लिखा था। न्यूज पेपर के उस टुकड़े में लिखा था कि आमला एक अमृत फल है। इसके साथ इसकी खेती के फायदे में भी बताया गया था। आंवले के गुण को पढ़कर उनके दिमाग में आया कि क्यों ने उनके खेत में आंवले की खेती की जाए। अमर सिंह ने 5 साल पहले 1600 sq ft में आंवले की खेती शुरू की। रुआत में अमर सिंह को कोई खरीदार नहीं मिला। वे कई मंडियों और फैक्ट्री मालिकों के पास गए लेकिन रिजेक्ट हो गए। इस दौरान वे एक एनजीओ से मिले जो लोगों को मुरब्बा बनाने की ट्रेनिंग देती थी। जिसने अमरसिंह को भी ट्रेनिंग दी

हर साल 26 से 27 लाख की कमाई
अमर सिंह बताते हैं पहला साल बहुत ही मुश्किल से गुजरा। कई जगह उधार पर काम करना पड़ा, लेकिन उन्हे कैश की जरूरत थी। उन्हे सिर्फ गांववालों से मिलने वाले कैश से ही काम चलाना पड़ा। दूसरे साल जब उनकी कमाई शुरू हुई तो मुरब्बे की डिमांड बढ़ गई। जिसके बाद सन् 2009 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन बढ़ा दिया। अमर सिंह ने अपनी गांव की महिलाओं को भी मुरब्बा बनाना सिखाया और अपनी कंपनी में काम दिया। फिल्हाल अमर सिंह हर साल 26 से 27 लाख की कमाई कर रहे हैं।
 

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