कहीं आप भी तो नहीं है इस समस्या का शिकार, बर्बाद हो सकता है करियर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jul, 2017 03:35 PM

somewhere you are not even a victim of this problem  it can be ruined

हम में से बहुत सारे लोग एेसे होते है जिन्हें अपनी बात दूसरों के सामने...

नई दिल्ली : हम में से बहुत सारे लोग एेसे होते है जिन्हें अपनी बात दूसरों के सामने रखने में यह किसी  से कोई बात करने में परेशानी होती है। एक अजीब सा डर लगा रहता है कि पता नहीं सामने वाला किस तरह से रिएक्ट करेंगा। इस वजह से कई लोग चाहते हुए भी अपनी बात लोगों से जाहिर नहीं कर पाते । कई बार लोग इस समस्या को किसी का नेचर मान कर इग्नोर कर देते है । लेकिन क्या आप जानते है कि यह समस्या है पब्लिक के सामने अपनी बात न रख पाने का डर। ये समस्या लोगों में कई तरह से सामने आ सकती है, जिसमें परफॉर्मेंस एंग्जाइटी से लेकर ग्लासोफोबिया तक शामिल है। हालांकि इसका असर एक ही होता है- लोगों का करियर पटरी से उतरना। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो आइए जानते है  इससे निपटने के उपाय जो आपको अपना बिजनेस खड़ा करने से लेकर जॉब पाने तक में मदद करेंगे

क्या है ये डर
इस फोबिया से जूझ रहे शख्य को लोगों के सामने अपनी बात कहने में डर लगता है। ये डर जितना बढ़ता है लोगों का आत्मविश्वास उतना घटता है यहां तक कि लोग एक या दो लोगों के सामने अपनी बात रखते वक्त भी नर्वस हो जाते हैं। आम तौर पर बातचीत में अच्छे खासे लोग भी उस समय हड़बड़ाने लगते हैं, जब वे एक से ज्यादा लोगों के सामने अपनी बात रख रहे होते हैं। कई मामलों में लोगों के शब्द तक मुंह से नहीं निकल पाते। हाथ कांपना,शब्दों पर ध्यान केंद्रित न होना,पसीना आना आम संकेत हैं। ऐसे में जॉब इंटरव्यू,अपने बिजनेस आइडिया का प्रिजेंटेशन,टीम से इंटरेक्शन,यहां तक कि अपनी समस्या रखते वक्त भी लोग अपना नुकसान कर लेते हैं। इस वजह से उनके करियर की ग्रोथ रुक जाती है। इस तरह की समस्या से जूझने वाले लोग अक्सर या तो नौकरी पाने में असफल रहते हैं। या फिर अपनी योग्यता से नीचे के जॉब करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। अपने बिजनेस खड़े करने का सपना साकार करना तो उनके लिए और भी मुश्किल हो जाता है, भले ही उनका आइडिया कितना ही शानदार क्यों न हो।

कितना आम है ग्लासोफोबिया
अमेरिकी यूनिवर्सिटी चैपमैन के एक सर्वे के मुताबिक पब्लिक में बोलने से जुड़ा डर सबसे बड़ा डर है। सर्वे के मुताबिक जितने लोगों को मरने से डर लगता है उससे ज्यादा लोगों को पब्लिक के सामने अपने बात रखने से लगता है। स्पीच थेरेपिस्ट और कम्युनिकेशन एक्सपर्ट मैरी बैम के मुताबिक हर 4 में से 3 को स्पीच से जुड़ी कोई न कोई प्रॉब्लम होती है। हालांकि इसका सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों को उठाना पड़ता है जिनके करियर में अपनी बाते सामने रखना सबसे अहम होता है। अपनी ऐसी समस्या के बारे में बात न कर करियर या प्रोजेक्ट शुरू कर रहे लोग अपनी मुश्किलें बढ़ा लेते हैं। 

आसान है इससे निकलना
स्कॉट श्वार्टली के द्वारा इथोस 3 के लिए लिखे गए एक लेख के मुताबिक ग्लासोफोबिया के शुरुआती संकेत 13 साल की कम उम्र से मिलने लगते हैं। उनके मुताबिक आम तौर पर माना जाता है कि इंट्रोवर्ट लोग अपनी समस्या को जाहिर नहीं करते, जिससे वो एक समय उनके नियंत्रण से बाहर हो जाती है।एक्सपर्ट मानते हैं कि बेहद सीमित मामलों को छोड़ दें तो अधिकांश लोग इस समस्या से न केवल जल्द निकल सकते हैं, साथ ही रिकवरी के दौरान आत्मविश्वास में तेजी देखने को मिलती है।उनके मुताबिक समय पर अपनी समस्या को पहचानना और किसी एक्सपर्ट के साथ इसे शेयर करना इसका पहला और सबसे मुश्किल कदम होता है। इसके बाद हालात जल्द सुधरने लगते हैं।

किसने पाई सफलता
वॉरेन बफे

अरबपति वॉरेन बफे को भी लोगों के सामने बोलने से काफी डर लगता था। यहां तक कि उन्होने स्पीच कोर्स में भी नाम लिखाया, लेकिन कोर्स शुरु होने से पहले ही नाम वापस ले लिया। जब उन्होने फाइनेंशियल मार्केट में काम शुरू किया तब उन्हें लोगों के सामने बात रखने की जरूरत महसूस हुई। इसके बाद उन्होने फिर एक कोर्स में नाम लिखाया। उनके मुताबिक इस कोर्स में उनके साथ 30 लोग और थे जिन्हे खड़े होकर अपना नाम लेना भी मुश्किल लगता था। अपने डर पर काबू कर बफे टॉप इनवेस्टर बनने में कामयाब हुए।

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