साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना बाबा बूढ़ा शाह का उर्स

Edited By ,Updated: 24 May, 2017 06:11 PM

baba budha shah urs

एक तरफ जहां कश्मीर घाटी में कुछ आतंकी संगठन मुस्लिम शरीयत लागू करने की फिराक में है वहीं उधमपुर के चनैनी में बाबा बूढ़ा शाह की दरगाह पर लगने वाला मेला साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल है।

जम्मू : एक तरफ जहां कश्मीर घाटी में कुछ आतंकी संगठन मुस्लिम शरीयत लागू करने की फिराक में है वहीं उधमपुर के चनैनी में बाबा बूढ़ा शाह की दरगाह पर लगने वाला मेला साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। यहां पर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब मिलकर इस मेले का आयोजन करते है। 

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जम्मू से करीब 100 किलोमीटर दूर चनैनी इलाके में हर साल उर्स लगता है इसमें बड़ी संख्या में हिन्दू मुस्लिम और सिख समुदाय के लोग भाग लेते है। हजारों सालों से यह उर्स चनैनी के इलाके में लगता आ रहा है। यहां पर सभी समुदाय के लोग अपना शीश नवाते है और बाबा बूढ़ा शाह का आशीर्वाद पाते है। इस दर पर आने वाला न कोई मुस्लिम है और न कोई हिन्दू सब अपनी श्रदा के अनुसार मिल कर इस उर्स को मनाते है। एक तरफ यहां घाटी में शरीयत लागू करने के लिए मूसा जैसे आतंकी अपनी आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे है वहीं चनैनी में साम्प्रदायिक सौहार्द देखने को मिल रहा है। 


बाबा बूढ़ा शाह ने हमेशा दिया शांति और प्रेम का संदेश
बग़दाद से यहां आने वाले बाबा बूढ़ा शाह ने हमेशा से ही शांति और प्रेम का संदेश दिया है। इस उर्स को सब समुदाय के लोग मिल कर मनाते है और अपना अपना योगदान देते है। इस उर्स में हिंदुयों की काफी ज्यादा भागीदारी है और हमारा पुरे देश में यह पैगाम है कि हिन्दू मुस्लिम सब मिल कर रहे। 

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