Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 12:14 PM
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की पिछली बैठक में करीब 200 से ज्यादा चीजों पर कर की दरें घटाने के बाद अब कारोबारियों के लिए इसे सुगम बनाने की खातिर जीएसटी के नियम एवं कायदे में व्यापक बदलाव किया जा सकता है। जीएसटी को आसान और तर्कसंगत बनाने के लिए...
नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की पिछली बैठक में करीब 200 से ज्यादा चीजों पर कर की दरें घटाने के बाद अब कारोबारियों के लिए इसे सुगम बनाने की खातिर जीएसटी के नियम एवं कायदे में व्यापक बदलाव किया जा सकता है। जीएसटी को आसान और तर्कसंगत बनाने के लिए सरकार की ओर से गठित 6 सदस्यीय सलाहकार समिति त्वरित रिफंड प्रक्रिया, ई-वे बिल को टालने तथा कंपोजिशन योजना को और आसान बनाने आदि का सुझाव दे सकती है। समिति दिसंबर के पहले हफ्ते में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'रिफंड को आसान बनाने, ई-वे बिल और रिवर्स चार्ज प्रणाली को एक साल या अधिक समय तक टालने जैसी महत्त्वपूर्ण सिफारिशें हो सकती हैं। इसके अलावा कंपोजिशन योजना में अंतरराज्यीय आपूर्ति की अनुमति की मांग को भी ध्यान में रखा जा सकता है।' उन्होंने कहा कि इन सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा क्योंकि सरकार का मकसद छोटे उद्यमियों की परेशानी को दूर करना और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाना है।
कनफेडेरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव और समिति के सदस्य प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार करीब 2 लाख करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट चार महीने से अटके पड़े हैं, जिससे कंपनियों की कार्यशील पूंजी पर असर पड़ रहा है।उन्होंने कहा, 'रिफंड प्रक्रिया स्वचालित होना चाहिए। इनपुट टैक्स क्रेडिट को एक माह के अंदर जारी किया जाना चाहिए। मिलान और समायोजन बाद में किया जा सकता है।'