नहीं रही लाखों दिलों पर राज करने वाली अम्मा, जानिए अभिनेत्री बनने से लेकर अब तक का सफर

Edited By ,Updated: 06 Dec, 2016 03:47 AM

amma has not  to know the way to becoming an actor since

तामिलनाडु की मुख्यमंत्री व लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाली जयललिता को दिल का दौरा पडने से उनका निधन हो गया...

नई दिल्ली: तामिलनाडु की मुख्यमंत्री व लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाली जयललिता को दिल का दौरा पडने से उनका निधन हो गया। पिछले 72 दिनों से जयललिता का चेन्नई के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। फेफड़ों में जकडन के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। तबीयत खराब होने के चलते उन्होंने सोमवार रात दुनिया को अलविदा कह दिया। जयललिता, एक ऐसी शख्सियत, जिसने एक खूबसूरत अभिनेत्री से लेकर राजनीति के अखाड़े तक हर जगह अपना वर्चस्व कायम किया। हम आपको बताने जा रहे है जयललिता से अम्मा बनकर लोगों के दिलों में राज करने वाली इस महिला के अनूठे सफर के बारे में...

दो वर्ष की उम्र में खो दिया पिता का साया
कर्नाटक के मैसूर शहर में एक अय्यर परिवार में जन्म लेने वाली जयललिता जयराम का जन्म 24 फरवरी 1948 को हुआ था। मात्र दो वर्ष की आयु में ही जयललिता ने अपने पिता को खो दिया। गरीबी में अपना बचपन बिताते हुए जयललिता की मां उन्हें लेकर बैंग्लोर अपने माता-पिता के पास लेकर आ गईं। तब उनकी मां ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और तमिल फिल्मों में काम करना शुरू किया।

पढ़ाई में भी अव्वल रही हैं जयललिता
जयललिता के घर का माहौल पढ़ाई-लिखाई वाला था और जयललिता को पढ़ाई में बहुत रुचि थी। उस समय गरीबी के बावजूद जयललिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पहले बैंगलोर और फिर चेन्नई में पूरी की। चेन्नई में स्टेला मारिस कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के बाद जयललिता ने सरकारी वजीफे से आगे की पढ़ाई पूरी की।

15 साल की उम्र में रखा फिल्मी दुनिया में कदम
जयललिता जब 15 साल की थीं, उनका फिल्मी सफर शुरू हुआ। उस दौर में एक निर्माता की नजर उन पर पड़ी और मां के पहले से फिल्मी दुनिया में होने के कारण जयललिता ने फिल्म में काम करने के लिए हां बोल दिया। जयललिता न सिर्फ पढ़ाई में, बल्कि संगीत और नृत्य में भी रुचि रखती थीं। सिर्फ 15 साल की उम्र में जयललिता ने अंग्रेजी फिल्म एपिसल में हिरोईन की भूमिका अदा की। अभिनेत्री की भूमिका में देखते ही देखते लोगों के दिलों में छा गईं। इसके बाद जयललिता ने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों की प्रचलित हस्ती बन गईं।

जयललिता ने लगभग 300 फिल्मों में किया काम
कन्नड़, तमिल, अंग्रेजी और हिंदी भाषा में जयललिता ने लगभग 300 फिल्मों में काम किया। कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म चिन्नाडा गोम्बे है जो 1964 में प्रदर्शित हुई। जयललिता तमिल की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी। जयललिता तमिल फिल्मों में सबसे लोकप्रिय अदाकारा थीं। यह कम लोग ही जानते होंगे कि 20 साल के अपने फिल्मी सफर में जयललिता ने सिर्फ एक ही हिंदी फिल्म की और वह थी निर्देशक टी प्रकाशराव की फिल्म इज्जत। जयललिता की यह सबसे चर्चित फिल्म थी और इस फिल्म में उनके साथ हीरो की भूमिका में बॉलीवुड के सुपरस्टार धर्मेंद्र थे। 

एमजी रामचंद्रन से रिश्ते बने विवादास्पद
अपने फिल्मी सफर में जयललिता सुपरस्टार रहे एमजी रामचंद्रन से रिश्तों की खबरों में खूब सुर्खियों में रहीं। इस दौर में एमजी के साथ रिश्तों को लेकर जयललिता ने खूब जलालत झेली। ऐसा कहा जाता था कि एमजी और जयललिता एक-दूसरे से प्यार करते थे। मगर एमजी की शादी पहले ही हो चुकी थी और वह दो बच्चों के पिता भी थे। उस दौरान जयललिता की जहां उम्र 16 वर्ष थी, वहीं एमजी रामचंद्रन की उम्र 42 वर्ष थी। एमजी राम चंद्रन के निधन पर भी जयललिता को खूब बेइज्जती झेलनी पड़ी थी। एमजी की पत्नी जानकी ने जयललिता को एमजी के पार्थिव शरीर से दूर रखा था।

एमजी के साथ ही रखा था राजनीति में कदम
वर्ष 1982 में जयललिता ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एमजी रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1983 में उन्हें पार्टी का प्रोपेगेंडा सचिव नियुक्त किया गया। बाद में जयललिता राज्य विधानसभा के उपचुनाव में जीतकर विधानसभा सदस्य बन गईं। इसके बाद वह 1984 से 1989 तक तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य रहीं। वर्ष 1984 में एमजी रामचंद्रन जया ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया।

तब दो धड़ों में बंट गई पार्टी
वर्ष 1987 में एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई। एक तरफ की नेता जहां एमजीआर की विधवा पत्नी जानकी थीं तो दूसरे तरफ की जयललिता। उस समय जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वर्ष 1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27 सीटें जीतीं और वे तामिलनाडु की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं। वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई।

सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं जयललिता
वे 24 जून 1991 से 12 मई तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्युमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं। इस हार के बाद सरकार विरोधी जनभावना और उनके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुये। पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए उनपर कई गंभीर आरोप लगे। भ्रष्टाचार के मामलों और कोर्ट से सजा होने के बावजूद वे अपनी पार्टी को चुनावों में जिताने में सफल रहीं। हालांकि गंभीर आरोपों के कारण उन्हें इस दौरान काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ा, पर 2001 में वे फिर एक बार तमिलनाडू की मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं।

वर्ष 2002 में फिर संभाली सीएम की कुर्सी
जब जयललिता को मद्रास हाईकोर्ट से राहत मिली तो एक बार फिर 2002 में मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री हैं। 

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