कर्नाटक में उल्टे पड़ रहे भाजपा के दाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 12:34 AM

bjps reversal in karnataka

बीते साल कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेता एस.एम. कृष्णा को बड़े जोर-शोर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल किया गया था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में विदेश मंत्री जैसा पद संभाल चुके कृष्णा को पार्टी में लाने के लिए 2 मकसद बताए गए थे-...

जालंधर: बीते साल कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेता एस.एम. कृष्णा को बड़े जोर-शोर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल किया गया था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में विदेश मंत्री जैसा पद संभाल चुके कृष्णा को पार्टी में लाने के लिए 2 मकसद बताए गए थे- एक, राज्य के लोगों के बीच यह धारणा मजबूत करना कि कांग्रेस कमजोर पड़ रही है, इसलिए उसके नेता भाजपा की तरफ रुख कर रहे हैं। दूसरा, दक्षिण कर्नाटक में बहुतायत में रहने वाले वोक्कालिगा समुदाय को खास तौर पर यह संदेश/संकेत देना कि हवा भाजपा के पक्ष में है।

इस क्षेत्र और समुदाय में भाजपा का जनाधार हमेशा से कमजोर रहा है और कृष्णा इसी क्षेत्र और समुदाय से ताल्लुक रखते हैं लेकिन भाजपा का यह दाव एक महीने बाद ही उलटा पड़ता दिखाई दिया। उस वक्त दक्षिण कर्नाटक की दो सीटों- नंजनगुड और गुंडलूपेट में उपचुनाव हुए थे। भाजपा को उम्मीद थी कि कृष्णा का करिश्मा यहां उसके पक्ष में नतीजे देगा लेकिन इन दोनों सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी हार गए और इसमें दिलचस्प बात यह रही कि नंजनगुड सीट तो कांग्रेस से भाजपा में गए राज्य के पूर्व मंत्री श्रीनिवास प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई थी। उन्हें ही भाजपा ने दोबारा मैदान में उतारा था, लेकिन वे अपनी नई पार्टी के लिए सीट नहीं निकाल पाए। 

अब ताजा मामला देखिए। यह मामला कर्नाटक के भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य से निकलने वाली महादायी नदी से जुड़ा है। महादायी के पानी पर गोवा और कर्नाटक दोनों हक जताते हैं क्योंकि करीब 111 किलोमीटर बहाव वाली यह नदी निकलती भले कर्नाटक से है पर बहती ज्यादातर गोवा में है। भाजपा गोवा में सरकार चला रही है और कर्नाटक में बनाना चाहती है, इसलिए पार्टी ने महादायी के मसले को भुनाने की कोशिश की।

यही नहीं, मामला उलझ जाने के बाद भाजपा की परेशानी बढऩे का सबब यह भी है कि अब कर्नाटक के कुछ संगठन पार्टी के बड़े नेताओं के प्रदेश दौरे के ऐन वक्त पर राज्यव्यापी बंद का आयोजन कर रहे हैं। ऊपर से पार्टी के दो कद्दावर नेताओं-येद्दियुरप्पा और कभी उनके डिप्टी सी.एम. रहे के.एस. ईश्वरप्पा के बीच अनबन खत्म करने की भाजपा नेताओं की कोशिशें भी अब तक ज्यादा सफल होती नहीं दिखतीं। 

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