Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 10:24 AM
बिहार में बुधवार को हुए सियासी ड्रामे का असर अगले साल अप्रैल में होने जा रहे राज्यसभा के चुनाव पर भी पड़ेगा। बिहार के छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अगले साल 2 अप्रैल को खत्म होगा।
नेशनल डैस्कः बिहार में बुधवार को हुए सियासी ड्रामे का असर अगले साल अप्रैल में होने जा रहे राज्यसभा के चुनाव पर भी पड़ेगा। बिहार के छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अगले साल 2 अप्रैल को खत्म होगा। अगर महागठबंधन बना रहता तो पांच सीटें उसकी तीनों पार्टियों को मिलती। राजद और जदयू को दो-दो और कांग्रेस को एक सीट मिलती जबकि एक सीट भाजपा के खाते में जाती लेकिन इस नए घटनाक्रम के बाद नितीश की पार्टी जनता दल यू और भाजपा को सीटें बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। अब भाजपा को एक की बजाए दो सीटें मिल सकती हैं।
बिहार में टूटेगी कांग्रेस, क्रास वोटिगं की संभावना
2015 के चुनाव में कांग्रेस ने बिहार में कांग्रेस ने 22 साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन मौजूदा घटनाक्रम से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होगा लिहाजा माना जा रहा है कि राज्य सभा चुनाव आते-आते कांग्रेस टूट सकती है और राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग की संभावना है। राज्यसभा चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मेघालय और त्रिपुरा में विधानसभा के चुनाव होने है यदि इन चुनावों का परिणाम कांग्रेस की उम्मीद के मुताबिक हुआ तो भी कांग्रेस विधायकों में निराशा बढ़ सकती है और कांग्रेस के विधायक पाला भी बदल सकते हैं।
कांग्रेस ने मुश्किल से पार किया था दहाई का आंकड़ा
नीतीश और लालू के समर्थन से बड़ी मुश्किल के साथ बिहार विधानसभा में दहाई का आंकड़ा पार किया था। कांग्रेस को 2005 के चुनाव में 9 सीटें मिली थी जो 2010 में कम होकर 4 सीटों तक सिमट गई। 2015 के चुनाव में कांग्रेस ने जदयू और राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा जिससे कांग्रेस को 27 सीटें हासिल हुई। इससे पहले कांग्रेस को संयुक्त बिहार के 1995 में हुए चुनाव के समय 29 सीटें हासिल हुई थी। इस लिहाज से कांग्रेस का ये 22 साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। पार्टी 2000 के चुनाव में 23 सीटें ही हासिल कर सकी थी।
बिहार विधानसभा में दलीय स्थिति
राजद - 80 सीटें
जदयू - 71
भाजपा - 53
कांग्रेस - 27
अन्य - 12