गोरखधंधा : रेलवे कर्मी बता ऐंठ रहे मनमानी फीस, अधिकारीयों की मदद से चल रहा गैंग

Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 07:48 AM

conundrum  telling railway workers and extracting arbitrary fees

चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के पार्सल विंग में लंबे अरसे से रेलवे अधिकारियों व बाहर के लोगों की मिलीभगत से गोरखधंधा चल रहा है।

चंडीगढ़ (लल्लन): चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के पार्सल विंग में लंबे अरसे से रेलवे अधिकारियों व बाहर के लोगों की मिलीभगत से गोरखधंधा चल रहा है। पार्सल भेजने आने वाले लोगों से बातचीत करने के बाद फार्म भरने, माल की धुलाई और नेम प्लेट बनाने के लिए मनमानी फीस वसूली जा रही है। सूत्रों के अनुसार यह वसूली करने वाले रेलवे के कर्मचारी नहीं हैं, लेकिन खुद को रेलवे कर्मी बताकर लोगों से रेलवे शुल्क के रूप में भारी भरकम रकम ऐंठ रहे हैं। इस गैर-कानूनी वसूली का एक बड़ा हिसा रेलवे अधिकारियों को भी जा रहा है, जिनकी छत्रछाया में यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। 

‘पंजाब केसरी’ टीम ने उक्त सूचना के बाद रेलवे स्टेशन का दौरा कर असलियत जानने की कोशिश की तो पार्सल विंग के बाहर चार-पांच लोग बैठे हुए पाए गए जो वहां आने वाले हर व्यक्ति से रेलवे कर्मचारियों सा बर्ताव करते देखे गए, लोग भी उन्हें रेलवेकर्मी समझ पार्सल का हर काम करवा रहे थे, जिनसे बाद में शुल्क के रूप में 200 से लेकर 500 रुपए तक वसूले गए। गौरतलब है कि हाल ही में जब एक टीम ने पार्सल विभाग का दौरा किया तो वहां पर अवैध रूप से कार्य कर रहे व्यक्ति राजेंद्र ने गाड़ी लोड़ करने के लिए 500 रुपए की मांग की थी। 

यही नहीं पी.यू. के छात्र ने भी इस पार्सल विभाग की शिकायत रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर की थी। शिकायत में कहा था कि लोग पार्सल विभाग के बाहर बैठे होते हैं उनके बारे में यात्रियों को मालूम नहीं होता है। जिसके कारण वह समझते हैं कि यह भी रेलवे के ही कर्मचारी हैं। ऐसे में वह लोग यात्रियों से अलग-अलग चार्ज लेते हैं। उत्तर रेलवे के सीनियर डी.सी.एम. को भी इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन अभी तक इस और कोई कदम नहीं उठाया गया है। रेलवे के इस रवैये के बाद पूरे गोरखधंधे में छोटे अधिकारियों से लेकर बड़े अधिकारी तक की भूमिका संदेह के घेरे में है। 

 

शक्ल देखकर होती है वसूली 
रेलवे स्टेशन पर जो लोग अवैध रूप से कार्य कर रहे हैं वह लोग शक्ल व आदमी के हुलिए को देखकर फीस के नाम पर वसूली करते हैं। पढ़ा-लिखा ग्राहक हो तो सस्ते में निबटा देते हैं और अगर बाहरी राज्य का या अनपढ़ फंस गया तो उसकी जेब की खैर नहीं। इस वसूली की जानकारी पार्सल विंग में तैनात अधिकारियों और कर्मियों को भी है, जिन्हें कई बार शिकायतें भी मिलीं, लेकिन रकम लौटाकर मामले निपटा दिए जाते हैं। 

 

औपचारिकता पूरी होने के बाद भी भटकते हैं यात्री
पार्सल विभाग के अधिकारियों की ओर से पार्सल विभाग में बुकिंग कराने की सबसे ज्यादा दिक्कत आर्मी के लोगों को होती है। जो लोग अपना सामान बुक करवाकर आते हैं, लेकिन अवैध रूप से कार्य कर रहे कर्मचारियों की लापरवाही के कारण खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। दीमापुर से आर्मी के एक जवान का बैड मिर्जापुर की जगह चंडीगढ़ पहुंच गया और वह सामान चंडीगढ़ पहुंचा लेकिन पार्सल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी यहां से पार्सल जाने में समय लगेगा, जबकि जवान की छुट्टी 28 नवम्बर तक है, ऐसे में उसके सामने समस्या यह है कि सामान उसके घर तक कैसे पहुंचेगा। 

 

बुकिंग को नहीं मानते
सामान व बाइक पार्सल करनी है और आप खुद ही बुकिंग करके ले जाओगे तो रेलवे के कर्मचारियों को वह पसंद नहीं आती है। वह कहते हैं कि दोबारा बुकिंग करो या फिर बाहर से कराओ, ऐसे में बाहर बैठे गैंग के लोग बुकिंग करते हैं और यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।

 

5 लोगों का है गैंग 
पार्सल विभाग में इन 5 लोगों का गैंग अवैध रूप से कार्य कर रहा है, जिसमें कुली भी शामिल हैं,  जिनमें संतोष, राज, राजेंद्र, राजू व विनोद हैं, लेकिन इन लोगों के खिलाफ ना तो पार्सल विभाग कारवाई करता है और ना ही कभी जी.आर.पी. व आर.पी.एफ. ने इन्हें रोकने का काम किया है। रेलवे पुलिस का कहना है कि जब तक कोई शिकायत नहीं आएगी तब तक हम कारवाई नहीं कर सकते। 

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