सिर्फ नक्सलियों से ही नहीं इन गंभीर समस्याओं से भी लड़ रहे हैं CRPF के जवान

Edited By ,Updated: 30 Apr, 2017 09:08 PM

crpf jawans are also fighting with these serious problems

छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानो को अकेले नक्सलियों से ही नहीं लडऩा पड़ रहा है, बल्कि उन्हें गर्मी ,पेयजल की किल्लत से ले कर खराब ...

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानो को अकेले नक्सलियों से ही नहीं लडऩा पड़ रहा है, बल्कि उन्हें गर्मी ,पेयजल की किल्लत से ले कर खराब मोबाइल नेटवर्क तक अनेक दिक्कतों से भी दो चार होना पड़ रहा है।बस्तर के दूरदराज के इलाकों में सीआरपीएफ के कुछ शिविरों का जायजा ले चुके अधिकारियों ने पाया कि वहां उन्हें पीने का पानी बहुत खराब मिल रहा है जिससे कई लोग बीमार पड़ रहे हैं।

एक अधिकारी ने बताया, हम पेय जल साफ करने के लिए अनेक कदम उठाते हैं। लेकिन ये काफी नहीं होता क्योंकि जब जवान गश्त पर जाते हैं तो उन्हें खुले स्रोतों में उपलब्ध पानी पीना पड़ता है जिससे वे बीमार पड़ते हैंं। अधिकारियों ने बताया कि गर्मियों के दौरान बस्तर के इलाकों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और इस तरह के गर्म और उमस भरे मौसम में सुरक्षाकर्मी जल्द ही निढाल हो जाते हैं। इससे उनमें हताशा होती है।

उल्लेखनीय है कि बस्तर के इसी इलाके में सोमवार को नक्सली हमले में 25 सीआरपीएफ कर्मी मारे गए थे। अर्धसैनिक बल के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए तमाम शिविरों में उन्हें पोषाहार दिया जा रहा है जिसमें मांसाहार भी शामिल है। गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने महसूस किया कि सीआरपीएफ शिविरों के हालात सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

गृहमंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के. विजय कुमार ने बताया, सीआरपीएफ के शिविरों का उन्नयन जरूरी है। खराब मोबाइल नेटवर्क भी सीआरपीएफ कर्मियों के लिए दिक्कतें खड़ी कर रहे हैं। इसकी वजह से वे अपने घर-परिवार से बात नहीं कर पाते। इससे भी उनका मनोबल गिरता है।

छत्तीसगढ़ के नक्सली गढ़ सुकमा में लंबे समय से तैनात सीआरपीएफ कर्मियों में थकान और सुस्ती के लक्षण दिख रहे हैं। सीआरपीएफ कर्मियों की हत्या के बाद छत्तीसगढ़ के दौरे पर गए गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने पाया कि बस्तर क्षेत्र में उच्च जोखिम वाले नक्सल विरोधी अभियान चला रहे अर्धसैनिक बलों के 45 हजार कर्मियों में ज्यादातर वहां तीन साल से ज्यादा अरसे से तैनात हैं।

एक अधिकारी ने बताया, जवानों में थकान और सुस्ती महसूस की गई क्योंकि उनमें से बड़ी संख्या में लोग सुकमा में पिछले पांच साल से तैनात हैं जबकि सामान्य रूप से उन्हें वहां तीन साल के लिए होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इलाके में लंबे समय से तैनाती के चलते जवानों की प्रेरणा में गिरावट आई है।बस्तर में तैनाती बहुत तनावपूर्ण है और जवान वहां के मुकाबले दूसरी जगह आतंकवाद विरोधी अभियानों में, यहां तक कि कश्मीर में शामिल होना ज्यादा पसंद करते हैं जहां उन्हें लगातार आतंकवादी हमलों और पथराव करने वाली भीड़ से जूझना होता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!