Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Oct, 2017 11:44 PM
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में एडवोकेट अजय अग्रवाल ने आरोप लगाए हैं कि सीबीआई को आरटीआई से बाहर रखने का सरकार का फैसला इसलिए है ताकि चीफ इन्फर्मेशन कमिश्नर (सीआईसी) के पास की गई आरटीआई अपील से बचा जा सके
नई दिल्लीः सीबीआई को राइट टू इंफर्मेशन (आरटीआई) के दायरे में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर गई है। पिटीशन में यूपीए सरकार के 2011 में लिए गए फैसले को चैलेंज किया गया है, जिसमें सीबीआई को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में एडवोकेट अजय अग्रवाल ने आरोप लगाए हैं कि सीबीआई को आरटीआई से बाहर रखने का सरकार का फैसला इसलिए है ताकि चीफ इन्फर्मेशन कमिश्नर (सीआईसी) के पास की गई आरटीआई अपील से बचा जा सके, जिसमें सीआईसी ने सीबीआई को बोफोर्स केस के संबंध में मांगे गए पेपर्स मुहैया कराने के निर्देश दिए थे। साथ उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया, उसका मकसद केवल ओट्टावियो क्वात्रोची को बचाना था।
एडवोकेट अग्रवाल ने कहा कि सरकार के 9 जून 2011 के नोटिफिकेशन को खत्म किया जाए, क्योंकि इस नोटिफिकेशन से ऐसा लग रहा है कि सरकार सीबीआई को पूरी तरह से गुप्त रखना चाह रही है, जबकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। ये नोटिफिकेशन आटीआई एक्ट 2005 और संविधान के दायरे से बाहर है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अग्रवाल ने ये भी कहा, "यूपीए सरकार का नोटिफिकेशन मनमाना कदम रखता है। लोगों को ऐसा लगने लगा है कि ये कदम सरकार के अालाअधिकारियों के खिलाफ चल रही जांचों में सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही को खत्म करना चाहती है।"
वहीं, इससे पहले 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट अजय अग्रवाल ने ये पिटीशन लगाई थी लेकिन, केंद्र ने कहा था कि ऐसी ही दूसरी याचिकाएं देश के दूसरे हाईकोर्टों में भी लगाई गई हैं, इसके बाद इस पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।