भारत की बर्बादी के लिए चीन ने बनाई ये खतरनाक साजिश !

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Aug, 2017 12:30 PM

dragon use naxalites for disturbing india

डोकलाम मुद्दे पर युद्ध भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन नित नए हथकंडे अपना रहा है...

बीजिंगः डोकलाम मुद्दे पर युद्ध भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन नित नए हथकंडे अपना रहा है। भारत को बर्बाद करने के उद्देश्य से यहां अशांति फैलाने व अस्थिरता पैदा  करने के लिए चीन ने अपनी नई खतरनाक साजिश के तहत नक्सलियों को मोहरा बनाने की रणनीति पर काम करना तेज कर दिया है। उसकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की इंटेलिजेंस इकाई इस ब्लू प्रिंट पर काम कर रही है। नक्सली संगठन के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना से जुड़े अधिकारी अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर सक्रिय प्रतिबंधित अलगाववादी नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खापलांग) से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं और इस संगठन को हर तरह से मदद दे रहे हैं।
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इस उग्रवादी संगठन में अभी चार हजार से ज्यादा गुरिल्ला सदस्य हैं जिनमें कई को चीनी सेना के अधिकारियों ने प्रशिक्षित किया है। नगा उग्रवादी संगठन चीन की साजिश को आगे बढ़ाते हुए बंगाल, झारखंड, ओडिशा व छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों में सक्रिय नक्सलियों को आर्थिक व हथियारों से ताकतवर बनाने में जुटा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक नगा संगठन को चीनी सेना की इंटेलिजेंस इकाई से तस्करी के जरिए सामरिक व आर्थिक मदद दी जा रही है।

इन संगठनों का जुड़ाव चीनी मिलिट्री इंटेलिजेंस इकाई से देश में जिन प्रमुख उग्रवादी-अलगाववादी संगठनों के जुड़ाव की बात सामने आई हैं उनमें एनएससीएन (खापलांग), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी , पीपुल्स रिव्यूलिशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक, भाकपा (माओवादी), कांगलेई ईयाउल कानवा लूप, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (परेश बरआ), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट , नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ असम, मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आदि शामिल हैं।
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विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना की इंटेलिजेंस इकाई के अफसरों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर गांव में प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है, जहां इन उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां के चांगलाना जिले में उस गांव की भौगोलिक स्थिति को चीन अपनी साजिश को परवान चढ़ाने की मुफीद मानता है। इस गांव के उत्तर में लोहित जिला, पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में असम व दक्षिण में टिराप जिला है। इसी इलाके में नामपोंग तहसील है जिसके छोटे से गांव लंगा, जो म्यामांर सीमा के करीब है, से नगा विद्रोही अपनी समानांतर सरकार चलाते हैं। नामपोंग नगर से 108 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में कुल 20 घर हैं और आबादी महज 93 है।
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 विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के गुप्तचरों की पहल पर गत जुलाई महीने में इसी गांव में उग्रवादी संगठनों के नेताओं की एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें बंगाल-झारखंड के नक्सली नेता भी इसमें शामिल हुए थे। चीनी अधिकारियों ने बैठक में शामिल उग्रवादी-नक्सली प्रतिनिधियों से प्लान पर आगे बढ़ने के टिप्स दिए।  नक्सली सूत्रों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश में हुई बैठक से लौटने के बाद नक्सली नेताओं ने झारखंड के बोकारो के पास झुमरी पहाड़ी क्षेत्र में गत 7 अगस्त को बैठक कर संगठन के सदस्यों को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी।

बैठक में नक्सली संगठन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का सदस्य अरविंद सिंह उर्फ निशांत भी शामिल हुआ था। पहले भी प्रतिबंधित नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (IAM) से नक्सलियों को चीन निर्मित हथियार मिलते रहे थे। बाद ने इस नगा संगठन ने केंद्र सरकार के साथ समझौता कर लिया। इसके बाद नक्सली इस संगठन के दूसरे धड़े एनएससीएन (खापलांग) के साथ तालमेल बैठाकर काम कर रहे हैं।
 

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