आसान नहीं है जंगलों की आग को शांत करना

Edited By ,Updated: 06 May, 2016 08:47 PM

emergency ecology forest mafia spraying robert

कनाडा के अलबर्टा प्रांत के जंगलों में लगी आग को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया गया है। जंगलों में आग लगने से फ़ोर्ट मैकमर्रे

कनाडा के अलबर्टा प्रांत के जंगलों में लगी आग को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया गया है। जंगलों में आग लगने से फ़ोर्ट मैकमर्रे शहर के 88 हज़ार बाशिंदों को शहर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। यह आग शहर के अधिकांश भाग को तबाह कर दगी इसकी चेतावनी दे दी गई है। वहां पिछले रविवार को लगी आग रुकने का नाम नहीं ले रही है। इसने वहां 1600 इमारतों को नुक़सान पहुंचाया है। इसके भयावह रूप को देखकर आस-पास की तेल कंपनियां अपने उत्पादन में कटौती करने को मजबूर हो गई हैं। अलबर्टा स्थित कई तेल कंपनियों को अपनी कुछ पाइपलाइन्स बंद करनी पड़ी हैं। 

पांच साल पहले 2011 में कनाडा के स्लेव लेक में लगी आग लगी थी। एडमंटन से 250 किलोमीटर उत्तरपूर्व बसे स्लेव लेक में लगी आग की वजह से 374 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। देखा जाए तो आग से विश्व के लगभग सभी देशों जंगल सुरक्षित नहीं है। अक्टूबर 2015 में इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में एक पहाड़ पर जंगलों में भयंकर आग लग गई थी। इसके अलावा चीन, थाईलैंड, इस्राइल, जापान, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय देशों में यूनान, जर्मनी, तुर्की, फ्रांस, स्वीडन, पुर्तगाल, स्पेन के बाद रूस,​ इंग्लैंड आदि में आग अपना तांडव मचा चुकी है और मचाती रहती है।

आग दो प्रकार की होती है। पहली जमीनी आग दूसरी छत्र आग। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि जमीनी आग का फैलाव जमीन से होकर जाता है जबकि छत्र आग पेड़ों के छत्र से होकर फैलती है। पहाड़ों के जंगलों में आमतौर पर जमीनी आग ही अधिक होती है। यह आग क्योंकि जमीन में फैलती है इसलिए बुझने के बाद प्रभाव कम नजर आता है और विषेशकर 2-4 बारिशों के बाद तो कुछ भी पता नहीं चलता। वास्तव में यह आग पारिस्थितिकी की दृष्टि से विनाशकारी होती है। इससे वन भूमि के धरातल मे मौजूद खाद जल कर नष्ट हो जाती है। वन भूमि का कटाव बढ़ जाता है। जल स्रोतों में कमी हो जाती है। वृक्षों की वृद्धि रूक जाती है। वन के शाक व झाडि़यां जल कर नष्ट हो जाती हैं। इन सबसे वन्य जीव व पक्षी बुरी तरह प्रभावित होती है। कुल मिलाकर वन की पारिस्थितिकी का ह्रास होता है, जिससे स्थानीय आबादी की आर्थिकी प्रभावित होती है। व्यापक रूप से सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, कृषि व पर्यावरणीय क्षति होती है। इसलिए वनों में आग की घटनाओं को हल्के में लेना उचित नहीं होगा। 

वन विशेषज्ञों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में आग के फैलने का अजीब कारण पता चला है। वहां पाया जाने वाली चील 'एवियन' एक ऐसा पक्षी है, जो जंगलों में लगी आग में घी डालने का काम करता है। जब किसी जंगल में आग लगती है तो आग की रोशनी में इकठ्ठा हुए कीट-पतंगों को खाने के लिए ये पक्षी आग का एक टुकड़ा लेकर दूसरे जंगलों में भी आग लगा देता है। वह अपनी भूख तो मिटा लेता है,लेकिन मीलों फैले जंगल जलकर नष्ट हो जाते हैं।

फॉरेस्ट सर्वे आॅफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि भारत का क़रीब 50 फीसदी वन क्षेत्र में आग लगने का खतरा बना रहता है। पिछले कई वर्षों से जंगल में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। हाल में उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगने के बाद इसकी लपटें जम्मू तक पहुंच गई थीं। भारत में आग लगने की एक बड़ी वजह यह मानी जाती है कि स्थानीय लोग अब जंगलों को अपना नहीं समझते हैं आज से 30-40 साल पहले, लोग ख़ुद आग बुझाने के लिए निकल पड़ते थे, लेकिन 21वीं सदी में ना सिर्फ लोग जंगल से दूर होते जा रहे हैंं, बल्कि प्रकृति और जंगल के प्रति उनका लगाव भी बहुत कम हो गया है। इस मौके का फायदा उठाता है वन माफिया। 

मुख्यतौर पर तापमान में तेजी से वृद्धि होने से गर्मी बढ़ जाती है और आग जोर पकड़ लेती है। अन्य कारणों में जंगलों से शहद, साल के बीज जैसे कुछ उत्पादों को इकट्ठा करने के लिए जानबूझकर उनमें आग का लगा दी जाती है। जंगल में काम कर रहे मजदूरों, वहाँ से गुजरने वाले लोगों या चरवाहों द्वारा गलती से जलती हुई कोई चीज वहाँ छोड़ दिया जाता। आस-पास के गाँव के लोगों द्वारा दुर्भावना से आग लगाना। जानवरों के लिए ताजी घास उपलब्ध कराने के लिए आग लगा दी जाती आदि। बंजर पड़ी भूमि पर कूड़ा इकट्ठा करके उसमें आग लगाई जाती है। तेज हवा चलने से वह रौद्र रूप धारण कर लेती हे। 

अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं से निपटने के लिए वहां सरकारों ने कारगर कदम उठाए हैं। अमरीका के सैन डिएगो के जंगलों में आग का पता लगाने के लिए वहां की लोकल पॉवर कंपनी ने 142 लघु मौसम स्टेशन बनाए हैं, ताकि हवा की गति उसकी दिशा और मौसम में उमस की जानकारी इकट्ठा की जाएं। जंगलों में लगी आग की वजहों को तलाशने के लिए छोटे ड्रोन की मदद भी ली जाती है। वायुसेना ने अपने ब्लैक हॉवक हैलिकॉप्टर में सुधार किया,जिससे आग लगने की स्थिति में ये एक बार में एक हज़ार गैलन यानि 3 हज़ार 785 लीटर पानी एक मिनट में भर सकें, फिर वे आग वाली जगह पर उस पानी का छिड़काव करें। इस हैलिकॉप्टर के इंजन को इस तरह से डिज़ाइन किया गया, ताकि वह 815 डिग्री सेल्सियस की गर्मी को भी सहन कर सके। 

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में आग से मुक़ाबला करने के लिए फायर फाइटिंग रॉबर्ट तैयार किया गया है। इस रॉबर्ट में धुएं को उड़ाने के लिए शक्तिशाली पंखा लगाया गया है। साथ ही ये आग लगने वाली जगह पर 90 मीटर के दायरे में तेज़ी से पानी का छिड़काव भी कर सकता है। और भी कई उपाय इजाद किए गए होंगे,मबर इन सभी प्रबंधों के बावजूद आग पर किसी का बस नहीं है।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!