Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 08:24 PM
यदि आप वकालत करते हैं। जरूरतमंद लोगों का मुकदमा बिना फीस लिए लड़ते हैं तो यह यह आपको जज बनाने में भी मददगार है। सरकार का मानना है कि सीनियर वकील का दर्जा पाने और वकीलों को जज नियुक्त करने के पैमानों में यह भी एक अहम पैमाना होना चाहिए। सरकार के एक...
नई दिल्ली: यदि आप वकालत करते हैं। जरूरतमंद लोगों का मुकदमा बिना फीस लिए लड़ते हैं तो यह यह आपको जज बनाने में भी मददगार है। सरकार का मानना है कि सीनियर वकील का दर्जा पाने और वकीलों को जज नियुक्त करने के पैमानों में यह भी एक अहम पैमाना होना चाहिए। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक लोगों के लिए बिना फीस मुकदमा लडऩे की आदत को प्रोत्साहन देने से न्याय व्यवस्था में सकारात्मक दृष्टिकोण को स्थापित करने में मदद मिलेगी।
हाल ही में वकीलों को सीनियर वकील का दर्जा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बने दिशानिर्देशों में इस जनहितकारी वकालत को काफी अहमियत दी है। सुप्रीम कोर्ट के इसी कदम के बाद ही सरकार में इस पर भी चर्चा होना शुरू हो गई है कि क्या इसे जजों की नियुक्ति के बारे में भी लागू किया जा सकता है? अधिकारी के मुताबिक सक्रिय वकालत से जज के तौर पर न्याय व्यवस्था का हिस्सा बनने के इच्छुक वकीलों के चयन में इसे मानक आसानी से बनाया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपने और 24 उच्च न्यायालयों में वकीलों को सीनियर का दर्जा देने की जो प्रक्रिया बताई है उसमें किसी वकील के जनहित में मुकदमा लडऩे की प्रवृत्ति को भी महत्वपूर्ण योग्यता के रूप में देखने की बात कही है। आमतौर पर देश में मुफ्त विधिक सेवा देने का काम नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी करती रही है। राज्यों में इसी तरह स्टेट लीगल एड सर्विसेज जरूरतमंदों की मदद करती है। लेकिन लोगों को कानूनी मदद की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद अभी तक देश में जनहितकारी वकालत या प्रो बोनो सेवाओं का विस्तार नहीं हो पाया है। हालांकि अब कानून मंत्रालय का विधि विभाग ऐसे वकीलों का एक डाटाबेस तैयार कर रहा है जो जनहित में बिना फीस लिये मुकदमें लड़कर समाज में योगदान कर रहे हैं।