सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार के पास पैसा नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Sep, 2017 02:14 PM

govt has no money for cctv cameras in school

हरियाणा के गुरुग्राम में रेयाल स्कूल में सात वर्षीय विद्यार्थी प्रद्युम्न की नृशंस हत्या के बाद अब प्राइवेट स्कूल वाले सुरक्षा प्रबंधों को लेकर काफी अलर्ट हो गए हैं लेकिन सरकार अभी भी गंभीर नजर नहीं आ रही है।

जम्मू : हरियाणा के गुरुग्राम में रेयाल स्कूल में सात वर्षीय विद्यार्थी प्रद्युम्न की नृशंस हत्या के बाद अब प्राइवेट स्कूल वाले सुरक्षा प्रबंधों को लेकर काफी अलर्ट हो गए हैं लेकिन सरकार अभी भी गंभीर नजर नहीं आ रही है। सुरक्षा मानक को लेकर जम्मू के सरकारी स्कूल अभी अछूता है। निजी स्कूल वाले अपने स्कूलों में सी.सी.टी.वी. लगा रहे हैं लेकिन सरकारी स्कूलों में कैमरे लगाने के लिए सरकार के पास पैसा ही नहीं है। जम्मू के कई निजी और सरकारी स्कूलों का दौरा करने के उपरांत पंजाब केसरी की टीम ने पाया कि सरकारी स्कूलों की सुरक्षा रामभरोसे ही है। कईस्कूलों में बेरोकटोक से लोग आ-जा सकते हैं और वहां पर पूछने वाला कोई नहीं है। हालांकि जम्मू के सभी प्राइवेट स्कूलों में सुरक्षा का मानक पालन नहीं किया जा रहा है परंतु कुछ ऐसे स्कूलों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल परिसर के कोने-कोने में सी.सी.टी.वी. कैमरे फिट कर दिए हैं। गेटों पर एंट्री रजिस्ट्रर के साथ आदमी तैनात कर दिए है और आने-जाने वाले की पहचान दर्ज की जा रही है।
सरकारी आकंड़ों के अनुसार जम्मू संभाग के जिला जम्मू, कठुआ, उधमपुर, डोडा, राजौरी और पुंछ में लडक़ों के 35021 है जिनमें लडक़ों के 20599 और लड़कियों के 14420 प्री-प्राइमरी स्टेज स्कूल है। इसी तरह पूरे संभाग में कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक कुल 542465 प्राइमरी स्टेज स्कूलों की संख्या हैं जिनमें लडक़ों के स्कूलों की संख्या 305573 और लड़कियों की 236894 संख्या है। अकेले जम्मू की बात करें तो पूरे जिले में लडक़ों के 12754 और लड़कियों के 10083 प्री-प्राइमरी स्टेज स्कूलों की संख्या है जबकि पहली से कक्षा पांचवीं तक लडक़ों के 87136 और लड़कियों के 74483 प्राइमरी स्टेज स्कूल्स हैं। हरियाणा के गुरुग्राम के प्रद्युम्न हत्याकांड के बाद जहां पूरा देश स्कूलों की सुरक्षा को लेकर चिंतन कर रहा है और स्कूलों में सुरक्षा मानक को सख्ती से लागू कराने के लिए राज्य सरकारें कवायद में जुट गई है तो दूसरी जम्मू-कश्मीर में अभी तक सरकार इसे लेकर हरकत में नहीं आई है। आलम यह है कि आज भी जम्मू के कई प्राइमरी स्कूलों में कोई भी आसानी से प्रवेश कर सकता है।


आज भी मानक पर खरे नहीं उतरते स्कूल्स
जम्मू-कश्मीर में प्राइवेट स्कूल खोलने के लिए कई मानक और शर्तें तय करती है। इस संबंध में राज्य सरकार ने एक सर्कुलर भी जारी किया। निजी स्कूलों खोलने वालों पहले सरकार की शर्तों को पूरा करने के बाद ही स्कूल खोलने की इजाजत दी जाती है। सरकार की शर्तों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में दो एकड़ और म्यूनिसिपालिटी टाउन में कम से एक एकड़ जगह का होना अनिवार्य है लेकिन देखा जाए ताकि शहर में खुले कई निजी स्कूलों के पास पर्याप्त संख्या में जगह ही नहीं है। फिर भी स्कूल चल रहे हैं। इसके अलावा स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाने के निर्देश दिए हैं लेकिन आज भी अधिकतर स्कूलों में सी.सी.टी.वी. कैमरे नहीं लगे हैं। अगर सरकार स्कूलों में नियमों की जांच करवाती है तो अधिकतर स्कूल नियमों के मापदंड पर खरे नहीं उतर पाएंगे।

सरकारी स्कूलों में सी.सी.टी.वी. के लिए सरकार के पास पैसा नहीं
देशभर में स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए आवाजें उठनी शुरू हो चुकी है। प्रद्युम्न कांड ने देश की आंखें खोल दी है। जम्मू-कश्मीर में प्रारम्भिक स्तर के स्कूलों में शिक्षा हासिल करने वाले छोटे बच्चों के लिए सुरक्षा के व्याप्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। विडम्बना यह है कि जम्मू-कश्मीर सरकार के पास सरकारी स्कूलों में तीसरी आंख यानि (सी.सी.टी.वी.) लगाने के लिए पैसा तक नहीं है। मुख्य शिक्षा अधिकारी जम्मू जे.के. सूदन ने कहा कि सरकार ने बड़े स्कूलों में पहचान के लिए गेटों में आदमी तैनात किए हैं परंतु सरकार के पास प्राइमरी लेवल तक अभी इसकी कोई योजना नहीं है। न ही सरकार के पास इतना पैसा है कि वह स्कूलों में सी.सी.टी.वी लगा सके।

 

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