'मेरा स्वभाव रेवड़ियां बांटने का नहीं है', पढ़ें PM मोदी के भाषण की खास बातें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Oct, 2017 04:18 PM

important points of pm modi s speech

अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चुनावी फायदे के लिए ‘‘रेवड़ियां’’ बांटने की बजाए उन्होंने सुधार एवं आम लोगों के सशक्तिकरण का कठिन रास्ता चुना है

नई दिल्ली: अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चुनावी फायदे के लिए ‘‘रेवड़ियां’’ बांटने की बजाए उन्होंने सुधार एवं आम लोगों के सशक्तिकरण का कठिन रास्ता चुना है और वह ‘‘अपने वर्तमान के लिए देश का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते।’’ द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘राजनीति का स्वभाव मैं भलीभांति समझता हूं। चुनाव आए तो रेवड़ियां बांटो लेकिन रेवड़ियां बांटने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है क्या?’’
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देश को मजबूत बनाने का मैंने कठिन रास्ता चुना है जो सुधार और आम लोगों के सशक्तिकरण पर बल देने वाला है। इस मार्ग पर चलना कठिन है और मेरी आलोचना भी हो रही है। रेवड़ी बांटो तो जयकारा होता है। उन्होंने कहा कि हम देश के सामान्य नागरिकों के सशक्तिकरण पर जोर दे रहे हैं।
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मोदी के संबोधन की खास बातें
-8 नवंबर (जिस दिन नोटबंदी हुई थी) को इतिहास में भ्रष्टाचार से मुक्ति का प्रारंभ दिवस माना जाएगा।

-मैं लकीर का फकीर नहीं है, जीएसटी में बदलाव हो सकते हैं। ताकि छोटे और मध्यम कारोबारियों की समस्याएं दूर की जा सकें।

-पिछले तीन वर्षों में 7.5% औसत वृद्धि दर हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में कमी दर्ज की गई।

-अर्थव्यवस्था की आलोचना करने वालों पर मोदी ने इसकी तुलना महाभारत के एक प्रमुख चरित्र और कौरव सेना के सेनापति कर्ण के सारथी ‘शैल्य’ से की और कहा ऐसा करने वाले लोग निराशावादी हैं और शैल्य वृत्ति से ग्रस्त हैं । शैल्य वृत्ति से ग्रस्त लोगों को निराशा फैलाने में आनंद आता है। उन्होंने कहा, जब तक शैल्य वृत्ति रहेगी तब तक ‘सत्यम बद्’ सार्थक कैसे होगा।

-देश में क्या पहली बार हुआ है जब जीडीपी की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत हुई है । पिछली सरकार में 6 वर्षो में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी।

- एक वह भी दौर था जब अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की श्रेणी में भारत को नाजुक अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के एक ऐसे समूह (फ्रेजाइल-5) में रखा गया था जो न केवल अपनी अर्थव्यवस्था के लिए खराब थे बल्कि दूसरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी उन्हें खराब माना गया था।

-आंकड़ों के जरिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के आखिरी तीन वर्षो के कामकाज और अपनी सरकार के तीन वर्ष के कार्यो का ब्यौरा रखा। प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान कई बार तालियां भी बजीं।   

-हमारी सरकार नीतियां और योजनाएं इस बात को ध्यान में रखकर बना रही है कि मध्यम वर्ग पर बोझ कम हो और निम्न मध्यम वर्ग और गरीबों का सशक्तिकरण हो।

संबोधन में मोदी ने कहा कि जीएसटी, नोटबंदी और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों को जोर देखकर रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमने सुधार से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं और देश की वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के हर आवश्यक कदम उठाएंगे।

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