राजस्थान उपचुनावः बजट से पहले मोदी सरकार को बड़ा झटका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 10:49 AM

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राजस्थान की अलवर और अजमेर लोकसभा तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों के लिए मतों की गिनती जारी है। फिलहाल कांग्रेस दो सीटों से आगे चल रही है। भाजपा के लिए यह काफी बड़ा झटका है क्योंकि इन चुनाव के नतीजों का सीधा असर 2019 पर पड़ सकता है।

नेशनल डेस्कः राजस्थान की अलवर और अजमेर लोकसभा तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों के लिए मतों की गिनती जारी है। फिलहाल कांग्रेस दो सीटों से आगे चल रही है। भाजपा के लिए यह काफी बड़ा झटका है क्योंकि इन चुनाव के नतीजों का सीधा असर 2019 पर पड़ सकता है। बता दें कि पिछले चुनाव में अलवर और अजमेर दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा था लेकिन इस बार ये दोनों उसके हाथ से खिसकती नजर आ रही हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में BJP-कांग्रेस को मिले वोटों पर एक नजर
अलवर- 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 6 लाख 42 हजार वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 3 लाख, 58 के करीब वोट मिले थे। दोनों पार्टियों के बीच करीब 2 लाख, 84 हजार वोटों का अंतर था।

अजमेर- अजमेर सीट से भाजपा को करीब 6 लाख, 37 हजार, 874 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 4 लाख 65 हजार, 891 वोट मिले थे और दोनों पार्टियों के बीच करीब 2 लाख, 72 हजार वोटों का अंतर था।

झूठे निकले सर्वे
राजस्थान उपचुनाव के बाद हुए सर्वे में दावा किया जा रहा था कि भाजपा का ही इन तीनों सीटों पर कब्जा होगा। परंतु सामने आ रहे नतीजों को देखते हुए सर्वे झूठे साबित हो रहे हैं।

परीक्षा में फेल हुई वसुंधरा राजे
-तीनों सीट में से एक भी सीट पर पराजय का सीधा असर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर तो पड़ेगा ही साथ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी की संगठन पर पकड़ को भी साबित करेगा। एक से अधिक सीटों पर हार के परिणाम इन दोनों नेेताओं की साख पर विपरीत असर डालने वाले साबित होंगे। इन चुनावों में नई बात यह भी रही कि दोनों दलों के आलाकमान ने चुनाव लड़ाने की पूरी जिम्मेदारी प्रदेश के नेताओं पर डालकर उनकी परीक्षा ली थी, जिसमें वसुंधरा राजे पूरी तरह फेल होती हुई नजर आईं। 

-अलवर और अजमेर लोकसभा सीट सहित मांडलगढ़ विधानसभा सीट का उपचुनाव मख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने रहे, यही कारण है कि उन्होंने तीनों स्थानों पर ताबड़तोड़ दौरे कर प्रचार को पूरी धार दी और मंत्रिमंडल के एक दर्जन से अधिक सदस्यों को व्यक्तिगत जिम्मेदारी देकर क्षेत्रों में डेरा डालकर बैठने के निर्देश दिए। लेकिन नतीजों से ये साफ हो गया कि राजस्‍थान की जनता वसुंधरा राजे सिंधिया की कार्यशैली से संतुष्‍ट नहीं हैं। 
 

 

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