Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 03:03 PM
सरकार ने स्वीकार किया है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के गठन के बाद धर्म और जाति
नई दिल्ली: सरकार ने स्वीकार किया है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के गठन के बाद धर्म और जाति के नाम पर हिंसा की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। इसमें सर्वाधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुई हैं। गृह राज्य मंत्री गंगाराम अहिरवार द्वारा सदन में पेश की गई राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में धर्म, नस्ल या जन्मस्थान को लेकर हुए विभिन्न समुदायों में हुई हिंसा की 336 घटनाएं हुई थीं। साल 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 475 हो गई। अहिरवार एक गौरक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा और सरकार द्वारा उन पर रोक लगाने से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे। अहिरवार ने सदन में कहा कि सरकार के पास गौरक्षकों से जुड़ी हिंसा का आंकड़ा नहीं है लेकिन सांप्रदायिक, जातीय या नस्ली विद्वेष को बढ़ाने वाली हिंसक घटनाओं का आंकड़ा मौजूद है।
यूपी में हिंसक घटनाओं में हुई बढ़ोतरी
मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार राज्यों में ऐसी घटनाओं में 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। साल 2014 में राज्यों में 318 ऐसी घटनाएं हुई थीं जो साल 2016 में बढ़कर 474 हो गई। वहीं दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाओं में भारी की कमी आई। राजधानी और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 18 घटनाएं हुई थी लेकिन साल 2016 में ऐसी केवल एक घटना हुई। उत्तर प्रदेश में सांप्रादायिक, जातीय और नस्ली विभेद को बढ़ावा देने वाली हिंसक घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई। यूपी में 3 सालों में ऐसी घटनाएं 346 प्रतिशत बढ़ी। साल 2014 में यूपी में ऐसी 26 घटनाएं हुई थी तो साल 2016 में ऐसी 116 घटनाएं हुई। उत्तराखंड में साल 2014 में ऐसी केवल 4 घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में राज्य में ऐसी 22 घटनाएं हुई। यानी उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं में 450 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।