Edited By ,Updated: 05 Apr, 2017 10:33 AM
राजस्थान में अजमेर के सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज सज्जादानशीन एवं आध्यात्मिक प्रमुख दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि बीफ को लेकर देश में दो समुदायों के बीच पनप रहे वैमनस्य को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को देशभर...
अजमेरः राजस्थान में अजमेर के सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज सज्जादानशीन एवं आध्यात्मिक प्रमुख दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि बीफ को लेकर देश में दो समुदायों के बीच पनप रहे वैमनस्य को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को देशभर में गोवंश की सभी प्रजातियों के वध करने एवं इनका मांस बेचने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए तथा मुस्लमानों को भी इनके वध से खुद को दूर रहकर इसके मांस के सेवन को त्यागने की पहल करनी चाहिए। वहीं जैनुल आबेदीन के बयान ने उनकी ही मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उनके भाई अलाउद्दीन आलिमी ने उन्हें दरगाह के दीवान पद से हटाने का ऐलान किया है।
अलाउद्दीन ने खुद को हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह का दीवान घोषित कर दिया। अलाउद्दीन ने सूफी जैनुल आबेदीन के बीफ पर दिए बयान के एक दिन बाद ये ऐलान किया। सैयद जैनुल ने कहा था कि उनके पूर्वज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती ने इस देश की संस्कृति को इस्लाम के नियमों के साथ अपना कर मुल्क में अमन शांति और मानव सेवा के लिए जीवन समर्पित किया था। उसी तहजीब को बचाने के लिए गरीब नवाज के 805वें उर्स के मौके पर मैं और मेरा परिवार बीफ के सेवन को त्यागने की घोषणा करता हूं और हिन्दोस्तान के मुसलमानों से यह अपील करता हूं कि देश में सदभावना के पुन:स्थापन के लिए वह भी इस त्याग को अपना कर मिसाल पेश करें। उन्होंने तीन तलाक का भी विरोध किया था।