इराक में पहाड़ के नीचे थीं 39 भारतीयों की कब्रें, ऐसे चला पता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 12:06 PM

the 39 indians buried under the mountain in iraq

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि इराक के मौसूल से अगस्त, 2014 में अपहृत 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है। सुषमा के इस बयान के बाद इतने सालों से अपनों की राह जोट रहे परिजनों की आंखों से नाउम्मीदी के आंसू थमने का नाम नहीं ले...

नई दिल्लीः विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि इराक के मौसूल से अगस्त, 2014 में अपहृत 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है। सुषमा के इस बयान के बाद इतने सालों से अपनों की राह जोट रहे परिजनों की आंखों से नाउम्मीदी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने बताया कि हमें बदूश शहर में टीलों के बारे में इनपुट मिला था कि यहां कुछ दबा हुआ है। हमें बताया गया कि यहां कुछ सबूत मिले हैं जिससे लापता भारतीयों के बारे में कुछ सुराग मिल सकता है। वीके सिंह की अगुवाई में भारतीय टीम और इराकी सैनिकों के दल ने इन टीलों को खोदने का फैसला लिया।
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पहाड़ खोद कर निकालीं थीं लाशें
जब सर्च टीम मोसुल के पास मौजूद एक गांव बदुश पहुंची तो वहां एक शख्स ने बताया कि गांव के करीब एक पहाड़ पर एक साथ कई लोगों को दफनाया गया था। इसके बाद भारत ने इराक से मदद मांगी। इराकी एडमिनिस्ट्रेशन ने डीप पैनिट्रेशन राडार से पता लगाया कि पहाड़ में कई लाशें दफन हैं। उसके बाद पहाड़ खुदवाया गया। वहां से लंबे बाल, कड़े, आई.डी. कार्ड्स और गैर-ईराकी जूते मिले। इन अवशेषों से गुम भारतीयों की पहचान हुई।
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डीएनए सैंपल से किया मिलान
भारतीय टीम ने इराक रवाना होने से पहले मृतकों के परिजनों से डीएनए सैंपल लिए थे। खुदाई के समय सबसे जिस व्यक्ति की सबसे पहले पहचान हुई वो पंजाब के संदीप कुमार थे। भारत सरकार द्वारा बगदाद फोरेंसिक लैबोरेट्रीज को भेजे गए डीएनए सैंपल से मिलान के साथ अन्य शवों की पहचान शुरू हुई। जब सरकार के सभी भारतीयों के शव बरामद हो गए और इसकी पुष्टि हो गई कि अपहृत भारतीयों की हत्या कर दी गई है। इसके बाद ही विदेश मंत्री ने सदन में इसकी जानकारी दी।
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कैसे लापता हुए थे मृतक
ये सभी मोसुल और इसके करीबी शहरों में मजदूरी के लिए गए थे। 2014 में इन्हें आई.एस. ने किडनैप किया था। इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा गया। वहां उनसे मजदूरी करवाई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया।
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कब-क्या हुआ

  • जून, 2014- में आई.एस. ने 39 भारतीयों को किडनैप किया था।
  • जून, 2017- में मोसुल को आई.एस. आतंकियों से मुक्त करवाया गया।
  • जुलाई, 2017-में वी.के. सिंह उनकी जानकारी जुटाने ईराक गए।
  • अक्तूबर, 2017-में लापता भारतीयों के परिवारों के डी.एन.ए. सैम्पल लिए।
  • मार्च, 2018- में डी.एन.ए. मैच हुए और भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि हुई।
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