भूखे सैनिकों को लंच कराने की खबर का सच आया सामने

Edited By ,Updated: 28 Oct, 2016 11:04 AM

truth of offers lunch to army men story

उरी हमले के बाद सैनिकों द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की सोशल मीडिया में अभी भी चर्चा चल रही है।

जालंधर: उरी हमले के बाद सैनिकों द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की सोशल मीडिया में अभी भी चर्चा चल रही है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें बताया गया है कि प्लेन में एक शख्स ने भूखे फौजियों को खाना खिलाया और उनके इस काम में अन्य पैसेंजर्स ने भी हिस्सा डाला। इस पोस्ट पर लोगों की दो राय थी कोई इसे सच बता रहा था तो कोई गलत। इसकी सच्चाई जानने के लिए 'पंजाब केसरी' ने जब शिमला के रहने वाले सरबजीत सिंह बॉबी से संपर्क किया तो उन्होंने सारी सच्चाई बताई। सरबजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने किसी भी प्लेन में फौजियों को खाना नहीं खिलाया बल्कि उन्होंने खुद इस पोस्ट को सोशल मीडिया से उठाया औऱ जस का तस अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दिया। उन्होंने 'पंजाब केसरी' को बताया कि वे एक सोशल वर्कर हैं उनकी संस्था लोगों की हैल्प करती रहती है लेकिन उन्होंने प्लेन में फौजियों को खाना खिलाने की खबर पर कहा कि उन्हें ये पोस्ट अच्छी लगी और अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर दी। बल्कि हकीकत में उन्होंने कुछ ऐसा नहीं किया। बता दें कि फौजियों की सहायता करने की उनकी पोस्ट काफी वायरल हो रही है।

 

I put my cabin-baggage in the luggage compartment and sat down in my assigned seat. It was going to be a long flight to... Posted by Sarbjeet Singh Bobby on Thursday, October 13, 2016



ये पोस्ट हुई वायरल
मैं फ्लाइट से दिल्ली आ रहा था। अपनी सीट पर बैठे किताब के पन्ने पलट रहा था। तभी आर्मी के कुछ जवान मेरे आसपास की सीटों पर आकर बैठे। मेरी उनसे बात करने की इच्चा हुई। मैंने अपने बगल की सीट पर बैठे नौजवान फ़ौजी से पूछा “आगरा! वहां हमारी दो हफ्ते की स्पेशल ट्रेनिंग है जिसके बाद हमें फ़ौजी अभियान पर भेज दिया जाएगा।” करीब एक घंटे की उड़ान के बाद घोषणा हुई कि नकद भुगतान करके खाने के पैकेट खरीदे जा सकते हैं। चूंकि दिल्ली पहुंचने में अभी वक़्त था इसलिए मैंने सोचा, थोड़ा वक़्त खाना खाकर ही क्यों न गुज़ार लूं? मैंने बटुआ निकालने के लिए जेब में हाथ डाला ही था कि तभी मेरे कानों में एक फ़ौजी की आवाज़ पड़ी। वो अपने साथी से पूछ रहा था कि खाने का क्या इरादा है? “नहीं, यहां बहुत महंगा होगा। शायद उतना अच्छा भी नहीं होगा। मैं तो दिल्ली जाकर ही खाऊंगा”– साथी ने जवाब दिया।

मैंने बाकी फौजियों की तरफ देखा। उनमें से कोई भी खाना नहीं खरीद रहा था। मैं उठकर जहाज़ के पिछले हिस्से में पहुंचा और फ्लाईट अटेंडेंट को पूरा भगतान करते हुए आग्रह किया कि वो उन सब फौजियों को भी खाना दे दें। फ्लाईट अटेंडेंट ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया। उनकी आंखें भर आईं। मुझे धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, “मेरा छोटा भाई कारगिल में लड़ा था, ऐसा लग रहा है जैसे ये सब आप उसी के लिए कर रहे हैं।” उन्होंने खाने के पैकेट लिए और तेजी से उस तरफ चली गईं जहां वो सब फ़ौजी बैठे थे। सरबजीत सिंह ने यह पोस्ट अपनी पेज पर शेयर की है जिसे अब तक 20 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं, इतना ही नहीं हजारों लोगों ने इसे शेयर भी किया है।

 

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