दिल्ली में केजरीवाल के अाने से क्या पलट जाएगी नमो-नमो की सत्ता?

Edited By ,Updated: 19 Feb, 2015 10:25 PM

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दिल्ली में हुई अरविंद केजरीवाल की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता पलटने का डर सताने लगा है। शायद इसलिए वे धर्म की इतना महत्व दे रहे हैं।

नई दिल्लीः दिल्ली में हुई अरविंद केजरीवाल की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता पलटने का डर सताने लगा है। शायद इसलिए वे धर्म की इतना महत्व दे रहे हैं। हाल ही में अमरीका में मंदिर की दीवार पर लिखे गए कुछ अपशब्दों को लेकर विपक्ष के लगातार हो रहे हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए साफ कर दिया कि उनकी सरकार किसी भी तरह की धार्मिक हिंसा बर्दाश्त नहीं करेगी। और ऐसा करने वालों को सख्त कार्रवाई का सामना करना होगा। 

 

प्रधानमंत्री  का कहना है कि सभी धर्मों का सम्मान और सहनशीलता भारत की परंपरा है। भारत का संविधान भी इसी परंपरा से निकला है। वहीं देखा जाए तो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लिए जहां धर्मनिरपेक्षता चुनावी गुणा-भाग का विषय नहीं था। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए धर्मनिरपेक्षता विश्वास की बात नहीं है। उनके लिए यह चुनाव से जुड़ा मसला है।  

  

मोदी जहां हर धर्म के लिए प्रयासत हैं वहीं उन्होंने  ईसाइयों के लिए  हैल्पलाईन नंबर जारी किया। मोदी के एेसा करने को  यूपी-बिहार में अाने वाले चुनाव से जोड़ा जा रहा है क्योंकि यू.पी.में मुस्लिम लोग ज्यादा हैं।

 

दिल्ली आज लघु भारत का रूप ले चुकी है। यहां पुरबिए,दक्षिण भारतीय तथा पहाड़ी लोग रहते हैं। दिल्ली विधानसभा  चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री ने सही कहा था कि जो देश का मूड है, वही दिल्ली का भी मूड है। अब उन्होंने इसे उलटकर पढ़ लिया है। उन्हें अब यह डर सताने लगा है कि जो दिल्ली का मूड है, वह देश का मूड हो सकता है। इसलिए अब अचानक उन्हें बहुलता और सहिष्णुता के मूल्य नज़र आने लगे हैं। उन्हें कहना पड़ रहा है कि उनकी सरकार धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बर्दाश्त नहीं करेगी। यह दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों की वजह से हुआ है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आप को मिली जीत भाजपा के लिए ख़तरे की घंटी है।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ परिवार एक दूसरे के बिना नहीं चल सकते हैं। दोनों को एक दूसरे की ज़रूरत है। इसे देखते हुए लगता है कि प्रधानमंत्री, संघ और उससे जुड़े संगठनों को अब सुधरना पड़ेगा।  

दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर आप ने जीत दर्ज की है। पंद्रह साल पहले जब दिल्ली में भाजपा की सरकार थी तो वैलेंटाइंस डे पर दिल्ली विश्वविद्यालय में तथाकथित राष्ट्रवादियों ने लड़के-लड़कियों को पकड़-पकड़कर पीटा था।

 

अब जब दिल्ली में आप की सरकार है तो वैलेंटाइन डे पर लड़के-लड़कियां बसों में भरकर हिंदू महासभा के दफ़्तर पहुंचे और कहा कि हमारी शादी करा दो। हालत यह हो गई कि हिंदू महासभा के लोग सफ़ेद गुलाब बांटते नज़र आए।

आज देश की आबादी का क़रीब 55 फ़ीसदी युवा है जो विकास और भ्रष्टाचार के नाम पर कांग्रेस, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह को नकार सकता है। वह घर वापसी, लव जिहाद और वैलेंटाइन डे के विरोध के लिए नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देने वाला है.

अब संघ परिवार और नरेंद्र मोदी को इन मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।नहीं तो वह समय भी आ जाएगा कि 2014 में मोदी-मोदी की रट लगाने वाले युवा पलट जाएं।

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