घुमान में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन 2015

Edited By ,Updated: 23 Feb, 2015 10:28 AM

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घुमान तहसील बटाला, ब्लॉक हरगोबिंदपुर, जिला गुरदासपुर पंजाब का वह गांव है जो 3, 4, 5 अप्रैल 2015 को आयोजित 88वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के कारण न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन गया है। इस सम्मेलन का आयोजन अखिल

घुमान तहसील बटाला, ब्लॉक हरगोबिंदपुर, जिला गुरदासपुर पंजाब का वह गांव है जो 3, 4, 5 अप्रैल 2015 को आयोजित 88वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के कारण न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन गया है। इस सम्मेलन का आयोजन अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल तथा ‘सरहद’ संस्था द्वारा किया जा रहा है।
 
भाषा, संगीत, नाटक, कला और संस्कृति भारत की प्राचीन परम्परा के भाग रहे हैं। हिन्दी, कन्नड़, संस्कृत आदि भाषाओं के बाद 27 फरवरी 2015 को मराठी को भी अभिजात भाषा का दर्जा दिए जाने की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा की गई है। 
 
पिछली सदी में देश के प्रख्यात समाजसुधारक न्यायमूर्त महादेव गोबिंद रानाडे ने सन् 1878 में मराठी साहित्य सम्मेलन की शुरूआत की थी, इस 137 वर्ष की परम्परा का इतिहास मात्र मराठी भाषा का इतिहास नहीं है। इस व्यास पीठ पर भारत की राष्ट्रीय एकता के विषय में और देश के नेतृत्व के संबंध में भी विचार मंथन हुआ है। महाराष्ट्र ने देश की एकता के लिए हमेशा अपना योगदान दिया है।
 
 महात्मा गांधी के गुरु नामदार गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, क्रांतिकारियों के नेता स्वातंत्र्यवीर सावरकर से लेकर पंजाब के पूर्व राज्यपाल काकासाहब गाडगिल, भारत के पूर्व संरक्षणमंत्री यशवंतराव चव्हान और शरद पवार जैसे राष्ट्रीय स्तर के महाराष्ट्रीय नेताओं ने इस सम्मेलन के आयोजन में समय-समय पर मौलिक भूमिका निभाई है। एक सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने मराठी में उद्घाटन का भाषण दिया था। विश्व भर के मराठी लोगों का जो आकर्षण रहा है वह भाषिक उत्सव, अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन, प्राय: महाराष्ट्र में होता है किन्तु महाराष्ट्र के बाहर दिल्ली, इंदौर, बड़ौदा, अहमदाबाद तथा गोवा में 
भी वह हुआ है। इस वर्ष यह सम्मेलन पहली बार पंजाब के घुमान गांव में होने जा रहा है। 
 
 इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के लिए जाने-माने पंजाबी साहित्यकार, ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त गुरुदयाल सिंह और समापन समारोह के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कश्मीरी कवि रहमान राही उपस्थित रहने वाले हैं। उनके अलावा भी विश्व भर से अनेकानेक साहित्यिक और साहित्यप्रेमी लोग इसमें भाग लेंगे। कई मराठी परिवार पाकिस्तान के लाहौर से इस सम्मेलन में आने वाले हैं। 
 
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस, शरद पवार, सुशील कुमार शिंदे, प्रकाश जावड़ेकर जैसे विभिन्न दलों के नेता भी वहां उपस्थित होंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने प्रशासन को घुमान के विकास के आदेश दिए हैं और सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के लिए अध्यक्ष के रूप में वे उपस्थित रहने वाले हैं।
 
महाराष्ट्र से प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख लोग जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के लिए जाते हैं। इस सम्मेलन के पश्चात वे घुमान होकर आगे जम्मू जाएं, इसके लिए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तथा रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने घुमान को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में पहल की है। रेल मंत्रालय ने इस सम्मेलन को आने वाले लोगों को दो विशेष रेलें उपलब्ध कराई हैं। 
 
सम्मेलन में होने वाली चर्चाएं तथा परिसंवादों के कारण महाराष्ट्र और पंजाब के बीच संबंध और मजबूत होंगे। साथ ही सभी भारतीय भाषाओं के भविष्य के विषय में मुक्त चिंतन भी होगा।
 

—संजय नहार  

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