‘नहीं बेटा तुझे भी मरना ही पड़ेगा’

Edited By ,Updated: 29 Mar, 2015 05:06 AM

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गत दिवस अपने घर में पत्नी व छोटे बेटे का बेरहमी से कत्ल कर बड़े बेटे को मारने की कोशिश में नाकाम रहने के बाद ...

फिल्लौर (भाखड़ी): गत दिवस अपने घर में पत्नी व छोटे बेटे का बेरहमी से कत्ल कर बड़े बेटे को मारने की कोशिश में नाकाम रहने के बाद फरार हुए कर्ज में डूबे व्यापारी सुखदेव हांडा का 30 घंटे बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं लगा, जबकि आज मृतक मनिंद्र कौर (44), पुत्र परमराज (16) का पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों ने श्मशानघाट फिल्लौर में अंतिम संस्कार कर दिया। दोनों चिताओं को अग्नि बुरी तरह से घायल हुए बड़े बेटे कर्णवीर ने दी। लोगों में चर्चा थी कि परमात्मा को मानने वाले सुखदेव सिंह ने कैसे इस घिनौने कार्य को अंजाम दे डाला। 
 
दूसरी तरफ अपने पिता के हाथों जिंदगी बचाने में कामयाब रहे बड़े बेटे कर्णवीर (21) ने बताया कि उनके हंसते-खेलते परिवार को न जाने किसकी नजर लग गई। उनका पिता कैसे अपने ही परिवार का इतना बड़ा दुश्मन बन गया। कर्णवीर ने बताया कि गत दिवस वह कालेज से शाम 4 बजे घर पहुंचा तो पिता ने घर का गेट खोला और जैसे ही वह घर में दाखिल हुआ तो उसके पिता ने गेट तुरंत बंद कर दिया। 
 
उस वक्त उसके पिता सुखदेव ने उसकी मां व छोटे भाई को मौत के घाट उतार कर बैडरूम में शव रखे थे। घर का टी.वी. ऊंची आवाज में चला कर वह उसे मौत के घाट उतारने के लिए उसका कालेज से लौटने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही सुखदेव कर्णवीर के सिर पर लोहे की रॉड से वार कर उसे जमीन पर फैंका कर उसके पेट में चाकू घोंपने लगा तो कर्णवीर ने चाकू पकड़ लिया और पिता को समझाया कि अगर उनके दिमाग पर कर्ज का बोझ है तो वह सब कुछ बेच डाले। उन्हें अपना पिता चाहिए न कि फैक्टरी व जायदाद परंतु उसके पिता ने कहा कि नहीं उसे अब मरना ही पड़ेगा। यह कह कर सुखदेव ने उसके सिर पर रॉड से 3-4 वार किए परंतु कर्णवीर जान बचा कर भागने में कामयाब रहा।

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